उत्तर प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनाव के बीच समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और अमेठी से पार्टी के प्रत्याशी गायत्री प्रजापति की मुश्किलें बढ़ गई है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामले में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने इस मुद्दे पर आठ हफ्तों के अंदर यूपी सरकार से जवाब मांगा है। एक महिला ने करीब पांच महीने पहले प्रजापति के खिलाफ गैंगरेप जैसा संगीन आरोप लगाया था।
- वर्ष 2016 में पीड़ित महिला ने आरोप लगाए है प्रजापति ने उसका और उसकी बेटी का लंबे समय तक यौन शोषण किया है।
- इस मामले की अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी। जिसके बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई।
- महिला का आरोप है कि वह प्रजापति से उसकी मुलाकात करीब 3 साल पहले हुई थी। उस समय मंत्री ने उसकी चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर बेहोशी की हालत में उसका बलात्कार किया।
- गायत्री प्रजापति ने उस समय की तस्वीरें भी निकाल ली। साथ ही प्रजापति ने उसको कई बार तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल करता व बलात्कार करता रहा।
- यह पहला मामला नहीं है मंत्री प्रजापति विवादों में घिरे हो। बता दें, सितंबर 2016 में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पहली बार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे गायत्री प्रजापति मंत्रीमंडल से बर्खास्त कर दिया था।
- खनन मंत्री रहते हुए उन पर अवैध खनन की गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं। हालांकि, मुलायम सिंह चलते प्रजापति की पार्टी में दोबारा वापसी हुई। बता दें, प्रजापति को मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता है।
- 2012 के चुनावी हलफनामे में 1 करोड़ 70 लाख की संपत्ति बताने वाले प्रजापति पर आरोप है कि इन्होंने कुछ ही वर्षों में करीब 1 हजार करोड़ की अवैध संपत्ति बना ली है। आरोप है कि प्रदेश में चल रहा अवैध खनन का कारोबार इन्हीं की देखरेख है।