SIR पर सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग का मजबूत पक्ष, प्रक्रिया वैध बताई, राजनीतिक आरोप खारिज

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SIR पर सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग का मजबूत पक्ष, प्रक्रिया वैध बताई, राजनीतिक आरोप खारिज
SIR पर सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग का मजबूत पक्ष, प्रक्रिया वैध बताई, राजनीतिक आरोप खारिज

चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल करते हुए साफ किया है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह आवश्यक और संवैधानिक रूप से मान्य है। आयोग ने कहा कि पश्चिम बंगाल में एसआईआर के चलते बड़ी संख्या में मतदाताओं को मताधिकार से वंचित किए जाने के जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे वास्तविकता से काफी दूर और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित हैं।

याचिका और आयोग का जवाब

टीएमसी सांसद डोला सेन ने 24 जून और 27 अक्टूबर 2025 को जारी एसआईआर संबंधी आदेशों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। इसके जवाब में आयोग ने दिए गए हलफनामे में दोहराया कि यह प्रक्रिया कई दशकों से चली आ रही है और संविधान तथा कानून द्वारा समर्थित है।

कानूनी आधार और आयोग का तर्क

चुनाव आयोग के अनुसार, मतदाता सूची की सटीकता बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है, और एसआईआर इसी उद्देश्य से होती है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को याद दिलाया कि टी.एन. शेषन बनाम भारत सरकार (1995) के फैसले में भी मतदाता सूची के विशेष संशोधनों को वैध और आवश्यक माना गया था।
हलफनामे में बताया गया कि अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 15, 21 और 23 आयोग को मतदाता सूची में आवश्यकतानुसार विशेष संशोधन करने की शक्ति प्रदान करती हैं।

क्यों जरूरी है SIR?

आयोग ने कहा कि 1950 के दशक से मतदाता सूचियों में व्यापक संशोधन समय-समय पर होते रहे हैं—जैसे 1962-66, 1983-87, 1992, 1993, 2002 और 2004 के दौरान। पिछले 20 वर्षों में शहरीकरण और लोगों के लगातार स्थान बदलने की वजह से मतदाताओं के नाम जोड़ने और हटाने की प्रक्रिया तेज हुई है।
इसी कारण डुप्लीकेट नाम, गलत प्रविष्टियों और भारी पैमाने पर शिकायतों में वृद्धि हुई है। राजनीतिक दलों द्वारा बार-बार उठाई जा रही इन समस्याओं को देखते हुए चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय स्तर पर विशेष गहन पुनरीक्षण लागू करने का निर्णय लिया।

इस तरह, आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को स्पष्ट किया कि एसआईआर कोई असामान्य कदम नहीं, बल्कि एक नियमित और आवश्यक प्रक्रिया है, जिसका लक्ष्य मतदाता सूची को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाना है।