Maharashtra Floor Test: महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले लगभग 1 महीने से चल रहे सियासी घमासान का नतीजा आज फ्लोर टेस्ट के तौर पर होगा। शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे से बगावत करके महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज एकनाथ शिंदे की सरकार फ्लोर टेस्ट का सामना करेगी। वहीं, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने 166 वोट मिलने का भरोसा जताया है। लेकिन इस बीच नए स्पीकर ने उद्धव ठाकरे के गुट के चीफ व्हिप और विधायक दल के नेता अजय चौधरी की नियुक्ति रद्द करके नया ट्विस्ट पैदा कर दिया है।
फ्लोर टेस्ट से पहले प्रदेश की राजनीति में मैराथन बैठकें हुईं।मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 39 विधायकों के साथ बैठक की। उधर, उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी बैठक की है।फ्लोर टेस्ट को लेकर प्रदेश की हर राजनीतिक पार्टी अपने स्तर पर रणनीति बनाने में जुटी है।

व्हिप को लेकर विवाद
महाराष्ट्र में स्पीकर के चुनाव को लेकर शिवसेना की ओर से व्हिप जारी किया गया था। पार्टी के दोनों गुटों यानी शिंदे गुट और ठाकरे गुट ने अपने विधायकों को लेकर व्हिप जारी किया था। व्हिप जारी करने को लेकर विवाद हो गया है और यह विवाद चुनाव आयोग तक पहुंच सकता है। शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि अध्यक्ष चुनने को लेकर 39 विधायकों ने हमारे व्हिप का पालन नहीं किया है। जबकि शिंदे गुट का दावा है कि उसके पास शिवसेना के 39 विधायक हैं, छोटे दलों और निर्दलीयों के रूप में 10 अन्य विधायक भी उसके पक्ष में हैं। उद्धव ठाकरे के साथ उनके बेटे आदित्य समेत 16 विधायक हैं।

स्पीकर के चुनाव के लिए 144 वोटों की जरूरत
विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में रविवार को बीजेपी-शिंदे गुट के प्रत्याशी राहुल नार्वेकर को 164 वोट मिले थे जबकि एमवीए गठबंधन के उम्मीदवार राजन साल्वी को महज 107 वोट ही मिल पाए। स्पीकर के चुनाव में जीत के लिए 144 वोटों की जरूरत थी, लेकिन नार्वेकर को 47 वोट ज्यादा मिले। 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में इस समय 287 विधायक हैं क्योंकि शिवसेना के एक विधायक रमेश लटके का पिछले महीने निधन हो गया था। शिंदे सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 144 विधायकों का समर्थन दिखाना होगा।
सदन में दलों की स्थिति देखें तो बीजेपी के 106 विधायक हैं। शिवसेना के 55, एनसीपी के 53, कांग्रेस के 44, बहुजन विकास अघाड़ी के 3, समाजवादी पार्टी के 2, AIMIM के 2, प्रखर जनशक्ति पार्टी के 2 विधायक हैं। इनके अलावा, एमएनएस, सीपीएम, पीडब्लूपी, स्वाभिमान पक्ष, राष्ट्रीय समाज पक्ष, जनसुराज्य शक्ति पार्टी, क्रांतिकारी शेतकारी पार्टी के 1-1 विधायक हैं। सदन में निर्दलीय विधायकों की संख्या 13 है।

उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका
बता दें कि एकनाथ शिंदे भाजपा सरकार के विश्वास मत से एक दिन पहले उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका लगा है। बीते रविवार देर रात महाराष्ट्र विधानसभा के नवनियुक्त अध्यक्ष ने शिवसेना विधायक अजय चौधरी को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया।
स्पीकर राहुल नार्वेकर के कार्यालय द्वारा जारी एक पत्र ने शिंदे को शिवसेना के विधायक दल के नेता के रूप में बहाल किया गया। ठाकरे गुट से संबंधित सुनील प्रभु को हटाकर शिंदे खेमे से भरत गोगावाले को शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त किया। सीएम एकनाथ शिंदे को नोटिस मिला था जिसमें लिखा था कि महाराष्ट्र विधान भवन प्रशासन को उनके गुट से 22 जून को एक नोटिस मिला था। जिसमें पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा शिंदे को शिवसेना विधायक दल के समूह नेता के रूप में हटाने पर आपत्ति जताई गई थी।

भरत गोगावले पार्टी के मुख्य सचेतक होंगे
सीएम एकनाथ शिंदे को मिली नोटिस के मुताबिक, शिंदे को शिवसेना के सदन के नेता के रूप में बहाल करता है और सुनील प्रभु की जगह भरत गोगावाले को पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने को भी मान्यता देता है। जिसकी वजह से ठाकरे गुट को बड़ा झटका मिला है। जिसमें 16 विधायक शामिल हैं जो सोमवार के विश्वास मत के लिए गोगावाले द्वारा जारी किए जाने वाले व्हिप से बंधे होंगे। अगर ये 16 विधायक व्हिप का पालन करने से इनकार करते हैं तो उन्हें अयोग्यता का सामना करना पड़ सकता है।
सीएम एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में अपने पहले भाषण में रविवार को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने पक्ष में ज्यादा सदस्य होने के बावजूद उन्हें सरकार का नेतृत्व करने का हक दिया। उनके इस फैसले ने बहुत से लोगों की आंखें खोल दी हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के पतन के बाद भी भाजपा-शिवसेना सरकार ने सत्ता संभाली है। यह बालासाहेब ठाकरे की मान्यताओं पर काम करेगी। उन्होंने आगे कहा कि उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे विधानसभा में होने वाले शिंदे सरकार के विश्वासमत परीक्षण को नैतिक परीक्षा करार दिया था। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुए कहा कि विश्वासघात करने वाले, दगाबाज कभी जीत नहीं सकते और जो भागते हैं, वो जीतते नहीं हैं।
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