बुधवार 9 नवंबर 2022 को न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुए एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस चंद्रचूड़ को मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ दिलाई.
DY Chandrachud भारत के इतिहास में पहले ऐसे मुख्य न्यायाधीश बन गये हैं जिनके पिता भी भारत के मुख्य न्यायधीश रहे हैं. न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ ने भारत के 16वें मुख्य न्यायाधीश थे. उन्होंने सात साल (1978-1985) से भी अधिक समय तक इस पद को संभाला था, जो अभी तक एक रिकार्ड है.
कई अहम पीठों का हिस्सा रहे हैं चंद्रचूड़
DY Chandrachud सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कई संविधान पीठ और ऐतिहासिक फैसले देने वाली पीठों का हिस्सा रहे हैं. इनमें अयोध्या भूमि विवाद, आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना, आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले (निजता का मामला), केरल का सबरीमला मुद्दा, सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने वाला निर्णय, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने जैसे फैसले शामिल रहे हैं.
दो साल का होगा कार्यकाल
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का मुख्य न्यायाधीश के रूप मे कार्यकाल 2 वर्ष 1 दिन का होगा और वो 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो जाएंगे.
न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़
11 नवंबर 1959 को जन्मे न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की पढाई की है. इसके बाद उन्होंने प्रतिष्ठित InLaks स्कॉलरशिप की मदद से अमेरिका की प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की. हार्वर्ड में, उन्होंने कानून में मास्टर्स (LLM) और न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट (SJD) पूरी की. इसके अलावा उन्होंने ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड लॉ स्कूल, Yale लॉ स्कूल और University of Witwatersrand, दक्षिण अफ्रीका में लेक्चर्स भी दिए हैं.
धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने बॉम्बे हाईकोर्ट के जज बनने से पहले सुप्रीम कोर्ट के अलावा गुजरात, कलकत्ता, इलाहाबाद, मध्य प्रदेश और दिल्ली के उच्च न्यायालयों में एक वकील के तौर पर प्रैक्टिस की है. चंद्रचूड़ को 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट में वरिष्ठ वकील (Senior Advocate) के रूप में नामित किया गया था. डीवाई चंद्रचूड़ ने वर्ष 1998 से 2000 उन्होंने भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में कार्य किया. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 29 मार्च 2000 से 31 अक्टूबर 2013 तक बंबई हाईकोर्ट के जज के रूप में कार्य किया. इसके बाद उन्हें 2013 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. वहीं 2016 जस्टिस चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत कर दिया गया था.
भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति
भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के न्यायाधीशों को राष्ट्रपति द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) के तहत नियुक्त किया जाता है. वहीं मुख्य न्यायाधीश के पद के मामले में देश के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश द्वारा अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश की जाती है.
केंद्रीय कानून मंत्री (Law Minister) द्वारा मुख्य न्यायाधीश के नाम की सिफारिश प्रधानमंत्री को भेजी जाती है और प्रधानमंत्री उसी आधार पर राष्ट्रपति को सलाह देता है.
दूसरे न्यायाधीश मामले में वर्ष 1993 में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया था कि सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश को ही मुख्य न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किया जाना चाहिये. सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं.
कॉलेजियम देश में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए एक प्रणाली है जो सर्वोच्च न्यायालय (न्यायाधीशों के मामलों) के निर्णयों के माध्यम से विकसित हुई है, न कि संसद के किसी कानून या भारतीय संविधान के प्रावधान द्वारा.
मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक अधिकार
आम तौर पर देश के मुख्य न्यायाधीश के पद को सुप्रीम कोर्ट में ‘फर्स्ट अमंग इक्वल’ (Primus Inter Pares) के रूप में देखा जाता है. भारत का मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय के प्रशासनिक प्रमुख (Administrative Head) की भूमिका भी निभाता है.
अपनी प्रशासनिक क्षमता में मुख्य न्यायाधीश किसी भी मामले को किसी खंडपीठ को आवंटित करने संबंधी विशेषाधिकार का प्रयोग करता है. इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश, किसी भी मामले की सुनवाई के लिये आवश्यक न्यायाधीशों की संख्या भी तय करता है. इस प्रकार वह केवल न्यायाधीशों को चुनकर ही परिणाम को प्रभावित कर सकता है. इस तरह की प्रशासनिक शक्तियों का प्रयोग बिना किसी आम सहमति के और बिना किसी कारण किया जा सकता है.
कैसे पद से हटाया जा सकता है?
भारत क मुख्य न्यायाधीश को कदाचार का दोषी या अक्षमता के मामले में ही (अनुच्छेद 124 (4) संसद द्वारा राष्ट्रपति का अभिभाषण प्रस्तुत किये जाने के बाद राष्ट्रपति के ही आदेश द्वारा हटाया जा सकता है. इस प्रस्ताव को संसद के प्रत्येक सदन के विशेष बहुमत (2/3) द्वारा पारित किया जाना चाहिये.