महाराष्ट्र स्थित गढ़चिरौली कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर साईंबाबा सहित पांच आरोपियों पर अपना न्यायिक फैसला सुनाया है, तथापि माओवादियों से संबंध रखने और उनकी मदद करने के आरोप में तमाम सबूतों और हालातों को मद्देनजर रखते हुए कोर्ट ने सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। बता दें कि पुलिस द्वारा हिरासत में लेने के बाद प्रोफेसर सहित पांचों आरोपी जिनमें हेम मिश्रा, प्रशांत राही, पांडु नरोटे, महेश तिर्की और विजय तिर्की शामिल थे, तमाम मुजरिमों को आतंकवादी संगठन को समर्थन देने के कारण यूएपीसी की धारा 13, 18, 20, 38 और 39 के तहत दोषी करार दिया गया था।
गौरतलब है कि सितंबर 2009 में माओवादियों पर रोक लगाने के लिए कांग्रेस सरकार द्वारा शुरु किए गए सर्च ऑपरेशन ग्रीन हंट के तहत दिल्ली स्थित उनके घर से साईंबाबा को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद लगातार उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसको कोर्ट ने चार बार खारिज कर दिया था। हालांकि जून 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई कर उन्हें जमानत दी थी जिसके बाद से अभी तक वो पैरोल पर थे। पुलिस के मुताबिक उनका नाम तब उभरकर सामने आया जब जेएनयू के छात्र हेंमत और पूर्व पत्रकार राही को सुरक्षा जांच एजेंसियों ने अहेरी और छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार कर पूछताछ की थी। पूछताछ के दौरान उसने कबूलनामा किया कि साईंबाबा छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के जंगलों में छिपे माओवादियों और प्रोफेसरों के बीच “डाक” का काम करते हैं।
आइए जानते है कौन हैं यह प्रोफेसर साईंबाबा…..
- साईंबाबा का जन्म आंध्र प्रदेश के एक साधारण परिवार में जन्म हुआ था। वह शरीर से 90 फीसदी विकलांग है जिन्होंने शुरु से आदिवासियों और जनजातियों के लिए हमेशा सरकार के प्रति अपनी आवाज को बुलंद किया।
- अखिल भारती पीपुल्स रेजिस्टंस फोरम के कार्यकर्त्ता के रुप में उन्होंने मुक्ति आंदोलन के समर्थन में प्रचार किया।
- साल 2014 के मई माह में प्रोफेसर सहित जेएनयू के छात्र व पूर्व पत्रकार प्रशांत राही समेत पांच लोगों को हिरासत में लिया गया था।
- साईंबाबा दिल्ली यूनिवर्सिटी के राम लाल कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे।
- साईंबाबा का नाम रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम के वामपंथी संगठन के साथ भी जुड़ा रहा, वह वहां उपसचिव के पद पर रहे थे।