पूणे के सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट से एमबीए कर रहे एक छात्र ने दिल्ली में चल रहे है बड़े किडनी रैकेट का भंडाफ़ोड़ कर सबको चौंका दिया है। इस छात्र का नाम जयदीप शर्मा है जो पुणे से एमबीए कर रहा है। इस छात्र ने अपनी जान को जोखिम में डालकर दिल्ली में चल रहे अवैध किडनी डोनेशन के एक रैकेट को पुलिस के हवाले करवाया।

दिल्ली पुलिस ने गुरूवार को संगम विहार स्थित बत्रा अस्पताल में अचानक छापेमारी की। छापेमारी में इस रैकेट से जुडें चार एजेंट्स को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें छह दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच में ज्वाइंट कमिश्नर प्रवीर रंजन ने बताया कि इस रैकेट के भंडाफोड़ करने के लिए 40 दिनों से टीम लगी हुई थी।

जयदीप के मुताबिक पिछले साल उसका एक दोस्त अचानक गायब हो गया। गायब होने से पहले जयदीप के दोस्त ने उसे अच्छी कीमत पर किडनी बेचने की बात बताई थी। तभी उसे शक हो गया कि यहां कुछ गड़बड़ है और वो इस मिशन पर लग गया। उसने किडनी बेचने और खरीदने वाले रैकेट का पता लगाया और उनसे संपर्क किया। जयदीप ने किडनी खरीद-बिक्री करने वाले एजेंट से खुद बात की और अपनी किडनी बेचने का प्रस्ताव रखा।

एजेंट जयदीप के जाल में फंस गया और उसने 4 लाख रुपये का ऑफर दिया। इधर जयदीप ने पहले ही मीडिया रिपोर्ट्स और पुलिस से बात कर रखी थी। एजेंट से डील पक्की होने के बाद जयदीप की किडनी निकालने के लिए बीते गुरूवार को ऑपरेशन की तारीख तय की गई थी। पहले से तय योजना के मुताबिक मीडिया रिपोर्ट्स ने ऑपरेशन वाली जगह पर स्टिंग ऑपरेशन का इंतजाम कर रखा था। जयदीप के ऑपरेशन से पहले संवाददाता ने इसकी सूचना क्रांइम ब्रांच को दे रखी थी।

योजना के मुताबिक क्रांइम ब्रांच के अधिकारियों ने जयदीप का ऑपरेशन शुरू होने से ठीक पहले छापा मार दिया और सबको रंगे हाथ पकड़ लिया। जांचकर्ताओं के मुताबिक यह अंतर्राज्यीय रैकेट लंबे समय से चल रहा है। वे हर किडनी लेने वालों को 30-40 लाख रूपए चार्ज करते थे। इस मामले में बत्रा हॉस्पिटल के डॉक्टरों और स्टाफ की भूमिका जांच के दायरे में है।

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