8 नवम्बर यानी कल नोटबंदी के एक साल पूरे हो रहे हैं। खबर है कि कल पीएम मोदी नोटबंदी के एक साल बाद अब आगे का रोडमैप पेश कर सकते हैं। वैसे केंद्र सरकार ने 8 नवंबर को ‘ऐंटी ब्लैक मनी डे‘ मनाने का फैसला लिया है। उधर विपक्ष ने इस दिन को पूरे देश में विरोध दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया। इसे लेकर हर तरफ सियासत तेज हो गई है। कांग्रेसी नेता और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को मोदी सरकार की बड़ी भूल बताई है।
इस रोडमैप को जनता के सामने कसी तरह से पेश किया जाए इसे प्लान करने के लिए हाई लेवल पर मीटिंग्स हो रही है। खबरों की मानें तो आज वित्त मंत्री अरुण जेटली भी नोटबंदी को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं। जिसमें वो इसके आगे की रणनीतियों का ब्यौरा देंगे। वहीं इसी कड़ी में 10 नवंबर को सभी केंद्रीय मंत्रियों की मीटिंग बुलाई गई है जिसमें करप्शन के खिलाफ अगली जंग के बारे में डिटेल प्लान पेश किया जाएगा। सूत्रों की मानें तो पीएम मोदी ने नोटबंदी के बाद अपना अगला टारगेट बेनामी संपत्ति को बनाया है और इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर पूरे देश में अभियान चलाया जाएगा।
मानां तो यह भी जा रहा है कि आने वाले दिनों में मालिकाना हक के कानूनी सबूत न मिलने पर सरकार बेनामी संपत्तियों को कब्जे में ले सकती है। कब्जे में ली गई संपत्तियों को गरीबों के लिए किसी योजना से भी जोड़ा जा सकता है। बता दें कि नोटबंदी के बाद से आयकर विभाग ने अब तक 1833 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति जब्त की है। सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्र की मानें तो बेनामी संपत्ति के खिलाफ ये कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।
वहीं गुजरात दौरे से पहले एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने पीएम मोदी को अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए बेहतर कदम उठाने की नसीहत दी है। पूर्व प्रधानमंत्री का मानना है कि इस फैसले से समाज में असमानता का खतरा बढ़ा है। मनमोहन सिंह ने कहा कि नोटबंदी एक विनाशकारी आर्थिक नीति साबित होने जा रही है। इसके चलते बड़े पैमाने पर आर्थिक, सामाजिक और संस्थागत नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का तत्काल असर छोटे और मध्यम सेक्टरों पर दिखा, जहां बड़ी संख्या में नौकरियां खत्म हो गई हैं। GDP का गिरना आर्थिक नुकसान का महज संकेत है। इसका हमारे समाज के गरीब तबकों और व्यापार पर जो असर हुआ है, वो कहीं ज्यादा नुकसानदायक है।
वहीं जीडीपी में गिरावट को लेकर सरकार की अपनी दलील है। सरकार का दावा है कि जीडीपी में गिरावट बेहद कम समय के लिए है और अर्थव्यवस्था जल्द ही रफ्तार पकड़ लेगी। इसके अलावा मोदी सरकार 2019 का आम चुनाव करप्शन के मुद्दे पर ही लड़ने की रणनीति बना रही है। सरकार का मानना है कि एक साल बाद जब नोटबंदी के बाद हालात सुधर चुके हैं तो दूसरा अभियान शुरू होने से इसका सकारात्मक संदेश खासकर गरीबों के बीच जा सकता है कि काला धन रखने वाले अमीरों के खिलाफ सख्त अभियान जारी है।