कौन कर रहा है वक्फ कानून को रद्द करने की मांग? आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई, 10 बिंदुओं में जानिए पूरा मामला

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कौन कर रहा है वक्फ कानून को रद्द करने की मांग?
कौन कर रहा है वक्फ कानून को रद्द करने की मांग?

वक्फ कानून को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होने जा रही है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ दोपहर 2 बजे से वक्फ बोर्ड के खिलाफ और समर्थन में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

इस पीठ के समक्ष 10 याचिकाएं सूचीबद्ध की गई हैं, लेकिन कुल मिलाकर अब तक 70 से अधिक याचिकाएं विभिन्न धार्मिक संस्थाओं, सांसदों, राजनीतिक दलों और राज्यों द्वारा दाखिल की जा चुकी हैं।

अब तक क्या हुआ है – संक्षेप में समझिए पूरा मामला:

विधेयक का पारित होना:

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 4 अप्रैल को संसद से पारित हुआ और 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 8 अप्रैल से अधिसूचना जारी कर इसे लागू कर दिया गया।

राज्यों का समर्थन:

हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और असम जैसे 7 राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर कानून की संवैधानिक वैधता को सही ठहराया है।

कौन-कौन हैं याचिकाकर्ता:

जिन 10 याचिकाओं पर आज सुनवाई होनी है, वे AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद सांसद मनोज कुमार झा द्वारा दायर की गई हैं।

मांगें क्या हैं:

कुछ याचिकाओं में इस संशोधित कानून को असंवैधानिक बताते हुए इसे पूरी तरह रद्द करने की मांग की गई है, जबकि कुछ में इसके लागू होने पर रोक लगाने की अपील की गई है।

भेदभाव का आरोप:

AIMIM प्रमुख ओवैसी ने कहा है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को खत्म करता है, जो मुस्लिमों के साथ भेदभावपूर्ण है क्योंकि अन्य धर्मों की संपत्तियों को वही सुरक्षा मिलती रही है।

अनुच्छेद 14 का हवाला:

AAP विधायक अमानतुल्लाह खान का कहना है कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

सरकार का पक्ष:

केंद्र सरकार ने कहा है कि यह कानून धर्म से नहीं, संपत्ति प्रबंधन से संबंधित है। उनका दावा है कि वक्फ संपत्तियों में भारी अनियमितताएं हैं और उनकी आय का लाभ गरीब मुस्लिम, महिलाएं और बच्चे नहीं पा रहे हैं।

विधेयक की तैयारी:

सरकार ने कहा कि यह विधेयक व्यापक परामर्श के बाद तैयार किया गया है और इसमें संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों को शामिल किया गया है। साथ ही इसे कई गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों का भी समर्थन प्राप्त है।

विरोध प्रदर्शन:

देश के कई हिस्सों में इस कानून के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं। सबसे हिंसक प्रदर्शन पश्चिम बंगाल में हुआ, जहां तीन लोगों की मौत हो गई और कई परिवार बेघर हो गए।

राज्य सरकार का रुख:


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी सरकार राज्य में यह संशोधित कानून लागू नहीं करेगी।