Dasha Mata Puja 2022: जिन परिवारों के ग्रहों की दशा और परिस्थितियां अशुभ होती हैं, उन्हें शुभ करने के लिए ही दशा माता का व्रत और पूजा की जाती है। इस बार Dasha Mata Puja 2022 दशमी तिथि 27 मार्च रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं पूजा और व्रत करके गले में एक खास डोरा (पूजा का धागा) पहनती है ताकि परिवार में सुख-समृद्धि, शांति, सौभाग्य और धन संपत्ति बनी रहे। कहा जाता है कि इस व्रत से सभी तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है। दशामाता व्रत-पूजन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है।
यह व्रत उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में किया जाता है। पश्चिम भारत के गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों के भी अनेक भागों में करने की परंपरा है। दशामाता व्रत के दिन, भगवान विष्णु के स्वरूप पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है। पूजा करने के बाद महिलाएं वृक्ष के नीचे बैठकर नल दमयंती की कथा सुनती है। इस दिन पूरे दिन व्रत रखने के बाद एक बार ही भोजन ग्रहण किया जाता है।
Dasha Mata Puja 2022: दशा माता व्रत का महत्व
1- इस व्रत में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। अनावश्यक चीजें भी घर से बाहर रख दी जाती है।
2- दशा माता की पूजा पीपल के पेड़ की छांव में करना शुभ होता है। इस दिन पीपल के पेड़ के चारो तरफ पूजा का धागा भी बांधा जाता है। पीपल के वृक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है इसलिए पीपल की पूजा से भगवान विष्णु की पूजा भी इस दिन हो जाती है।
3- दशा माता का व्रत एक बार करने के बाद हर साल करना पड़ता है। इस व्रत को बीच में छोड़ना अशुभ माना जाता है। अगर बहुत जरूरी हो तो उद्यापन करने के बाद ही इसे छोड़ सकते हैं।
4- दशामाता व्रत करने वाली महिलाएं दिन भर में मात्र एक बार भोजन या फलाहार कर सकती है। इस व्रत में नमक नहीं खाया जाता।
5- इस व्रत को करने से कहा जाता है कि एक साल के भीतर जीवन से जुड़े दु:ख और समस्याएं दूर हो जाती हैं।
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