तिब्बती धर्म गुरू दलाई लामा आज से अरूणाचल प्रदेश के दौरे पर हैं। उनकी अगुवानी के लिए अरूणाचल पूरी तरह से तैयार है। 4 अप्रैल से 13 अप्रैल तक चलने वाले इस दौरे पर चीन नाराजगी जाहिर कर चुका है। दलाई लामा के कार्यक्रमों को लेकर चीन ने यह भी कहा कि भारत तिब्बत के मुद्दे पर अपने राजनीतिक संकल्पों का पालन करे। वैसे तो इन सभी इलाकों पर चीन अपना दावा जताता रहा है, लेकिन उसकी नाराजगी की मुख्य वजह तवांग मठ में दलाई लामा के आयोजित कार्यक्रम को लेकर है।
धर्मगुरू दलाई लामा का यह दौरा सुबह तवांग से हेलीकॉप्टर के माध्यम से शुरू होने वाला था, लेकिन मौसम में आई खराबी के चलते अब वह सड़क के रास्ते अपनी यात्रा पूरी करेंगे। धर्म गुरु लामा आज रात तक बोमडीला पहुंचेंगे और फिर कल अपने कार्यक्रम की शुरूआत करेंगे। दो दिन बोमडीला में रुकने के बाद वह अपने आगे के सफ़र के लिए तवांग रवाना होगें। उनके इस तीन दिवसीय दौरे में लुमला, दिरांग का तवांग मोनास्ट्री और गिंगमापा मोनास्ट्री का दौरा पहले से निर्धारित है। दलाई लामा यहाँ नए मंदिरों की आधारशिला रखने के साथ दीक्षा और उपदेश देने सहित कई अन्य कार्यक्रमों में शामिल होंगे।
चीन ने दलाई लामा के इस दौरे पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि दलाई लामा 1959 में सशस्त्र विद्रोह के विफल होने के बाद भारत भाग गए थे, साथ ही यह भी कहा कि दलाई लामा अलगाववादी गतिविधियों में शामिल है। बीते समय में एक बार दलाई लामा द्वारा दिए गए एक बयान ‘बढ़ती चीनी सैन्य कार्रवाई के कारण भागने के अलावा मेरे पास कोई और विकल्प नहीं था’ को सिरे से खारिज करते हुए चीन ने कहा कि उनके बयान ‘चीन विरोधी अलगाववादी उद्देश्य की पूर्ति करता है’।