सबरीमाला विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को लेकर दाखिल की गई रिव्यू पिटीशन पर फैसले को सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में सबसे बड़ा मोड़ उस वक्त आया, जब मंदिर का कामकाज देखने वाले त्रावणकोर देवासम बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सभी आयु वर्ग की महिलाओं को भगवान अयप्पा के मंदिर में पूजा की इजाजत मिलनी चाहिए।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आर. एफ. नरीमन, जस्टिस ए. एम. खानविलकर, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच सबरीमाला संबंधी फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली 48 याचिकाओं पर विचार करेगी।

वहीं मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं बिंदु और कनकदुर्गा ने भी सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट से कहा कि मंदिर में प्रवेश के बाद उन्हें धमकियां मिल रही हैं और उनकी जान को खतरा है।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आज उन 48 याचिकाओं पर सुनवाई हुई, जिनमें केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति वाले उसके 28 सितंबर के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 5 जजों की पीठ ने 28 सितंबर को 4-1 के अपने फैसले में सबरीमाला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश का रास्ता साफ करते हुए कहा था कि यह पाबंदी लैंगिक भेदभाव के समान है।

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