दुनिया कोरोना वायरस से पीड़ित है। हर तरफ लाशें, डर और गम का माहौल है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर भारत के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही है। पहली लहर से देश में अधिक नुकसान नहीं हुआ था लेकिन दूसरी लहर में हर दिन 4 हजार लोगों की मौत हो रही है। इसके साथ लॉककडाउन में अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई थी अब नाइट कर्फ्यू और कोरोना लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था टूटने की कगार पर है। कोरोना वायरस ने लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था पर वार किया है। इस वायरस को लेकर बार – बार सवाल उठता रहता है कि, इसे किसने फैलाया ? जवाब में चीन को लाया जाता है। इसी कड़ी में अमेरिका ने दावा किया है कि, कोरोना वायरस को चीन ने ही पूरी दुनिया में फैलाया है।
एक नई रिपोर्ट के खुलासे के बाद कोविड-19 वायरस को लेकर चीन के गंदे इरादे पर शक की सुई रुक जाती है। साथ ही कही ना कही साबित होता दिख रहा है कि, चीन ने ही वायरस को पूरी दुनिया में फैलाया है। क्योंकि, वायरस चीन से ही शुरू हुआ था लेकिन अब वहां पर कोई मुश्किल नहीं है। चीन की अर्थव्यवस्था पटरी पर है। पर अभी भी कई देश इस वायरस से परेशान हैं।
खुलासा करने वाली रिपोर्ट 2015 के घटनाक्रम से जुड़ी है, जब विश्व में कोरोना वायरस के घातक प्रभाव से लोग अनजान थे, लेकिन चीन उसी समय कोरोना वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के बारे में जांच कर रहा था। यही नहीं, आशंका है कि चीनी सैन्य वैज्ञानिकों ने तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियार से लड़े जाने की भविष्यवाणी की थी। अमेरिकी विदेश विभाग को प्राप्त हुए खुफिया दस्तावेजों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
ब्रिटेन के ‘द सन’ न्यूजपेपर ने ऑस्ट्रेलिया के समाचार पत्र ‘द ऑस्ट्रेलियन’ के हवाले से कहा है कि अमेरिकी विदेश विभाग को हाथ लगे इस ‘बॉम्बशेल’ यानी कि विस्फोटक जानकारी के अनुसार चीनी सेना PLA के कमांडर ये कुटिल पूर्वानुमान लगा रहे थे।
चीनी वैज्ञानिकों ने सार्स कोरोना वायरस की चर्चा ‘जेनेटिक हथियार के नए युग’ के तौर पर की है, कोविड इसका एक उदाहरण है। PLA के दस्तावेजों में इस बात की चर्चा है कि एक जैविक हमले से शत्रु की स्वास्थ्य व्यवस्था को ध्वस्त किया जा सकता है। पीएलए के इस दस्तावेज में अमेरिकी वायुसेना के कर्नल माइकल जे के अध्ययन का भी जिक्र है जिन्होंने भविष्यवाणी की थी कि तृतीय विश्वयुद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जाएगा। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2003 में जिस SARS का चीन पर अटैक हुआ था वो हो सकता है कि एक जैविक हथियार हो जिसे आतंकियों ने तैयार किया हो। इन कथित दस्तावेजों में इस बात का उल्लेख है कि इस वायरस को कृ्त्रिम रूप से बदला जा सकता है और इसे मानवों में बीमारी पैदा करने वाले वायरस में बदला जा सकता है, इसके बाद इसका इस्तेमाल एक ऐसे हथियार के रूप में किया जा सकता है जिसे दुनिया ने पहली बार कभी नहीं देखा है।
बता दें कि, इस बीमारी के बारे में साल 2019 में पूरी दुनिया को पता चला। अमेरिका, इटली जैसे बड़े देश को इस वायरस के कारण भारी नुकसान हुआ है। भारत कोरोना का दर्द पिछले दो सालों से झेल रहा है।