देशभर में इस समय 30 अक्टूबर को मनाए जाने वाले छठ पर्व (Chath Puja) की तैयारियां जोरों पर हैं. आज यानी 28 अक्टूबर से नहाए खाए के साथ पर्व की शुरुआत भी हो गई है. छठ को लेकर दिल्ली सरकार ने इस बार राजधानी में 1,100 जगहों पर छठ मनाने का ऐलान किया था जिसके लिए तैयारियां भी बड़े स्तर पर की जा रही हैं.
वहीं राजधानी दिल्ली में यमुना (Yamuna) नदी के कुछ हिस्सों पर झाग की सफेद परत तैरती हुई देखी जा रही है जो अब दिल्ली में एक बार-बार होने वाली घटना बन गई है. हालांकि इससे पहले भी यमुना में अमोनिया के उच्च स्तर के कारण दिल्ली की जलापूर्ति में कई बार दिक्कत पैदा हो रही थी.
Chath मनाने वाले श्रद्धालु इसी प्रदूषित पानी में पूजा करने को मजबूर हैं. हालांकि दूसरी ओर प्रशासन द्वारा यमुना के जल में भारी मात्रा में केमिकल का छिड़काव करवाया जा रहा है, ताकि सफेद झाग को कम किया जा सके. लेकिन इसके बावजूद भी तस्वीर में कुछ खास बदलाव नजर नहीं आ रहा है.
यमुना नदी में मानसून के समय ही पानी ज्यादा होने से प्रदूषण कम हो जाता है, इसके अलावा नदी में प्रदूषण की समस्या बनी ही रहती है.
झाग बनने को रोकने के लिए उठाए गए कदम
दिल्ली सरकार के तहत आने वाली दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (Delhi Pollution Control Committee- DPCC) ने पहले भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुरूप निर्मित नहीं होने वाले साबुन और डिटर्जेंट की बिक्री, भंडारण एवं परिवहन पर प्रतिबंध लगा रखा है.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal- NGT) द्वारा नियुक्त ‘यमुना मॉनिटरिंग कमेटी’ की पांचवीं रिपोर्ट में कहा गया है कि डिटर्जेंट के लिये BIS के मानकों में सुधार किया गया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये मानक वास्तव में लागू हो पा रहे हैं या नहीं.
झाग को लेकर राजनीति
यमुना नदी में मिल रही झाग की शिकायतों के बाद एक बार फिर से राजनीति शुरू हो गई है. भाजपा नेताओं ने दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा है. भाजपा नेता मनोज तिवारी ने कहा कि केजरीवाल ने 2013 में दावा किया था कि वह यमुना को इतना साफ कर देंगे कि लोग डुबकी लगा सकेंगे. लेकिन इसमें आज भी झाग तैर रहा है.
वहीं पश्चिमी दिल्ली से सांसद प्रवेश वर्मा आज जब एक छठ घाट का दौरा करने पहुंचे तो वहां मौजूद अधिकारी के साथ बहस हो गई. प्रवेश वर्मा का अधिकारी को डांटने का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वर्मा एक अधिकारी से कह रहें हैं कि केमिकल तेरे सिर पर डाल दूं क्या. उन्होंने कहा कि इस केमिकल को तुम यमुना में डाल रहे हो, लोग जब डुबकी लगाएंगे तो क्या होगा. हालांकि अधिकारी ने जवाब देते हुए कहा कि आपको कैसे पता कि लोग केमिकल से मर रहे हैं.
वहीं दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष और आम आदमा पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह बेहद ही हास्यास्पद और गलत है कि यमुना में झाग कम करने के लिए ‘जहरीले रसायन’ का इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने कहा कि रसायन का मतलब जहर नहीं है. यहां तक कि पानी को साफ करने के लिए इस्तेमाल होने वाली क्लोरीन और फिटकरी भी एक प्रकार का केमिकल ही है. भारद्वाज ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए कहा कि “दिल्ली सरकार छठ पूजा की तैयारी कर रही है और भाजपा के नेता काम रोक रहे हैं, बदतमीजी कर रहे हैं. भाजपा चाहती है कि पूर्वांचली भाइयों को परेशानी हो और त्योहार खराब हो.”
यमुना नदी
यमुना गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में समुद्र तल से लगभग 6,387 मीटर की ऊंचाई पर निम्न हिमालय (Lower Himalayas) की मसूरी रेंज से बंदरपूंछ चोटियों (Bandarpoonch Peaks) के पास यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है. इसके बाद उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से होते हुए 1,376 किलोमीटर की यात्रा तय करने के बाद प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में संगम (जहां कुंभ मेला भी लगता है) में गंगा नदी में मिल जाती है.
यमुना नदी पर लखवाड़-व्यासी बांध (उत्तराखंड), ताजेवाला बैराज बांध (हरियाणा) बांध बनाए गए हैं वहीं चंबल, सिंध, बेतवा और केन इसकी महत्त्वपूर्ण सहायक नदियां हैं.
यमुना नदी को दुनिया में सबसे प्रदूषित नदियों में से एक माना जाता है. यमुना के महत्त्व का अंदाजा आप इससे ही लगा सकते हैं कि ये नदी दिल्ली की जरूरत का आधे से ज्यादा पानी प्रदान करती है.
यमुना में प्रदूषण का कारण
यमुना के गंदा होने का सबसे बड़ा कारण औद्योगिक प्रदूषण है. यमुना हरियाणा से दिल्ली में दाखिल होती है और हरियाणा के सोनीपत और पानीपत जिलों की फैक्ट्रियों से आने वाला अपशिष्ट नदी में मिलता है. इसी तरह से दिल्ली में जो फैक्ट्रियों हैं वह भी बहुत हद तक नदी को जहरीला बनाने के लिए जिम्मेदार हैं. इन इकाइयां में अमोनिया का उपयोग उर्वरकों, प्लास्टिक और रंजक के उत्पादन में एक औद्योगिक रसायन के रूप में किया जाता है.

इसके अलावा कई नाले सीधे यमुना में जाकर मिलते हैं और उस पानी का ट्रीटमेंट भी नहीं होता है. यह पानी नदी को मटमैला करता है, नदी में झाग बनने लगता है और धीरे-धीरे नदी में अमोनिया का स्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है जिससे पानी पीने लायक नहीं रहता है.
जल में बढ़ती अमोनिया की मात्रा ओर इसके प्रभाव
यमुना नदी के जल में सबसे ज्यादा अमोनिया की मात्रा पाई जाती है. अमोनिया जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है क्योंकि यह नाइट्रोजन के ऑक्सीकृत रूपों में बदल जाती है. इसलिये यह ‘बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड’ (Biochemical Oxygen Demand- BOD) भी बढ़ाती है.
जैविक अपशिष्ट द्वारा जल प्रदूषण को BOD के संदर्भ में मापा जाता है. यदि पानी में अमोनिया की मात्रा 1 PPM से ऊपर है, तो यह मछलियों के लिये ठीक नहीं माना जाता है. यमुना नदी में अमोनिया की 0.2 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) तक की मात्रा को सामान्य माना जाता है. इससे ज्यादा मात्रा होने पर यह स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है. अगर इंसान 1 पीपीएम या उससे अधिक अमोनिया के स्तर वाले पानी के लंबे समय तक इस्तेमाल करता है तो उसके आंतरिक अंगों को नुकसान हो सकता है.