यूपी में बढ़ते क्राइम के बाद अब योगी सरकार सख्त रवैया अपनाने को मजबूर हुई है। इसी के चलते योगी सरकार ने 21 दिसंबर को यूपीकोका कानून का बिल विधानसभा में पेश किया था। अब यूपीकोका के बाद यूपी में क्राइम बढ़ेगा या घटेगा,ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन खास बात ये है कि राज्य सरकार ने खुद पर चल रहे केस को अदालत से हटवाने के लिए आवेदन दायर करवाया है। जी हां, सीएम योगी आदित्यनाथ समेत 13 नेताओं के खिलाफ वर्ष 1995 में पीपीगंज थाने में दर्ज मुकदमों को वापस लिए जाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। शासन से पत्र मिलने के बाद जिलाधिकारी ने एडीएम सिटी को शीघ्र कार्यवाही पूरी करने को कहा है।
इस मामले में योगी के साथ वर्तमान केंद्रीय राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ल, विधायक शीतल पांडेय, राकेश सिंह पहलवान, विश्वकर्मा द्ववेदी, कुंवर नरेंद्र सिंह, उपेंद्र दत्त शुक्ल, समीर सिंह, विभ्राट चंद कौशिक, शंभुशरण सिंह, भानुप्रताप सिंह, ज्ञान प्रताप शाही, रमापति राम त्रिपाठी समेत 13 लोगों के खिलाफ पुलिस ने धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया था। गोरखपुर अतिरिक्त जिलाधिकारी (एडीएम) रजनीश चंद्र ने मामले को वापस लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि मामले को वापस लेने के लिए शासन से एक आवेदन पत्र प्राप्त हुआ है। जिसमें कहा गया है कि अभियोजन अधिकारी को उचित अदालत में केस वापसी का आवेदन पत्र दर्ज किया जाए।
यह केस 1995 का है। हुआ ये था कि आईपीसी की धारा 188 के अंतर्गत योगी आदित्यनाथ और 12 अन्य लोगों के खिलाफ 27 मई, 1995 को मामला दर्ज किया गया था। जिला प्रशासन द्वारा निषेधाज्ञा लागू होने के बाद पिपिगंज शहर में एक बैठक आयोजित करने के लिए याचिका दायर की गई थी। बता दें कि नेताओं और जनप्रतिनिधियों पर से मुकदमे हटाने के संकेत सीएम योगी ने तभी दे दिए थे जब विधानसभा सत्र के दौरान सदन में यूपीकोका बिल पर बहस हो रहा था।