भारत बायोटेक ने कोरना वैक्सीन को बनाने के लिए नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया है। यानी की कोवैक्सीन में बछड़े के खून का इस्तेमाल किया गया है। यह खुलासा एक आरटीआई के जरिए हुआ है। कांग्रेस में डिजिटल कम्युनिकेशन और सोशल मीडिया के कोऑर्डिनेटर गौरव पांधी ने आरटीआई के जवाब को ट्वीट किया। जिसमें पांधी की ओर से दावा किया गया कि नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल COVID-19 वैक्सीन, कोवैक्सीन बनाने में किया जाता है।
भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन को लेकर आरटीआई के जवाब और कांग्रेस में डिजिटल कम्युनिकेशन और सोशल मीडिया के कोऑर्डिनेटर गौरव पांधी के ट्वीट के बाद एक नया विवाद शुरू हो गया है।
ये जवाब सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने विकास पाटनी नाम के व्यक्ति के आरटीआई पर दिया है। इस पूरे मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा है कि हम चाहते हैं कि सरकार और भारत बायोटेक आरटीआई में जो जवाब आया है, उसका जवाब दें। गौरव पांधी ने अपने ट्वीट में बताया कि कोवैक्सीन में बछड़े के सीरम का इस्तेमाल हुआ है।
गौरव पांधी के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर गरमा गर्मी चल रही है। इस मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने हैं। इस पूरे मसले पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि भारत में निर्मित कोवैक्सीन को लेकर कांग्रेस ने जो भ्रम फैलाया है वो महापाप है। उन्होंने आरोप लगाया कि कोवैक्सीन में गाय के बछड़े का सीरम/खून होता है। कांग्रेस ये भ्रम फैला रही है कि गाय के बछड़े को मारकर ये वैक्सीन तैयार किया गया है।
मामले को अधिक गरमाता देख स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि नवजात बछड़े के सीरम का उपयोग वेरो सेल के विकास के लिए किया जाता है। वैक्सीन बनाने में दशकों से इस्तेमाल की जाने वाली यह तकनीक है। फाइनल कोवैक्सिन डोज में सीरम का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
इस मु्द्दे पर भारत बायोटेक का कहना है कि वायरल टीकों के निर्माण के लिए गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है। इनका इस्तेमाल सेल्स की ग्रोथ के लिए होता है, लेकिन SARS CoV2 वायरस की ग्रोथ या फाइनल फॉर्मूला में इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है।