उत्तर प्रदेश में लंबे समय से सत्ता से दूर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती एक बार फिर सत्ता में वापसी के लिए आतुर हैं। सत्ता को हासिल करने के लिए वे ब्राह्मण समाज का सहारा ले रही हैं। 23 जुलाई को ब्राह्मणों को एकजुट करने के लिए पार्टी अयोध्या में एक सम्मेलन करने वाली है। इससे पहले पार्टी नेता और पूर्व मंत्री नकुल दुबे ने एलान किया है कि बिकरू कांड में आरोपी बनाई गई खुशी दुबे की रिहाई की लड़ाई बहुजन समाज पार्टी लड़ेगी।

बता दें कि खुशी दुबे कुख्यात बदमाश विकास दुबे के भजीते अमर दुबे की पत्नी है। बिकरू कांड के बाद दोनों को पुलिस ने एनकाउंटर में मौत के घाट उतार दिया था। इसी कांड के बाद खुशी दुबे को आरोपी बनाकर जेल भेज दिया गया है। अब बसपा खुशी की रिहाई के लिए लड़ाई लड़ेगी।

अयोध्या में ब्राह्मण सम्मलेन को आखिरी रुप देने पुहंचे नकुल दुबे ने कहा कि बिकरु कांड में खुशी पर कई गंभीर चार्ज लगाकर जेल में फेंक दिया गया है। हत्या और आपराधिक साजिश समेत आईपीसी की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किए जाने के बाद उसके परिजनों ने कानपुर देहात की विशेष अदालत में हलफनामा पेश कर दावा किया था कि वह नाबालिग है।

खुशी के वकील ने दलील पेश की थी कि अमर के मौत के तीन दिन पहले ही उसकी शादी हुई थी। इस कांड में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। इसके बाद भी 8 जुलाई 2020 से जेल में बंद खुशी को जमानत नहीं मिली है।

उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकील और बसपा महासचिव सतीश मिश्र खुशी का केस लड़ेंगे और उसकी रिहाई की मांग करेंगे। उधर, खुशी दुबे के अधिवक्ता शिवकांत दीक्षित ने कहा, मुझे किसी पार्टी विशेष में दिलचस्पी नहीं है।

नकुल ने कहा कि खुशी की रिहाई के लिए कोई हमारा साथ देना चाहता है तो स्वागत है। वैसे इस काम के लिए किसी ने भी कोई संपर्क नहीं किय है। किशोर न्याय बोर्ड ने खुशी के नाबालिग होने की पुष्टि कर दी है। लेकिन अभी तक वह जेल में ही है।

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