BSF: शौर्य, साहस और बलिदान की अमर गाथा समेटे हुए भारतीय सीमा की चाकचौबंद सुरक्षा के लिए 1 दिसंबर 1965 को गठित की गई सीमा सुरक्षा बल का आज 57वां स्थापना दिवस है।
भारत-पाकिस्तान युद्ध के भारत को एक ऐसे सुरक्षा इकाई की जरूरत थी जो सीमा पर भारतीय फौज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मुस्तैदी से दुश्मनों पर निगाह रखे और हर उसे खतरे का मुंहतोड़ जवाब दे, जो दुश्मनों के इरादों को नाकाम करें।

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को भारतीय सीमा क्षेत्रों की रक्षा की पहली पंक्ति कहा जाता है। बीएसएफ केंद्रीय अर्धसैनिक बल है, जिसे शांतिकाल में पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ सटी भारतीय सीमा की रक्षा करने और सीमा पर घुसपैठ के साथ-साथ अन्य अपराध को रोकने के लिए का जिम्मा दिया जाता है।
इस बल के 257,363 वीरों के कारण देश चैन की सांस लेता है। कर्तव्यपरायणता की सटीक मिसाल देते हुए बीएसएफ सदा अपने दायित्वों सदा निष्ठापूर्वक निर्वहन करता है।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के इस 57वें वार्षिक समारोह के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दिल्ली में उनके पराक्रम का सम्मान करेंगे। बीएसएफ गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

बीएसएफ के पास अधिकारियों का अपना कैडर है, लेकिन इसका प्रमुख, महानिदेशक (डीजी) के रूप में नामित है, क्योंकि इसकी स्थापना भारतीय पुलिस सेवा के एक विस्तार के तौर पर हुई थी।

साल 1965 में बीएसएफ की स्थापना मात्र कुछ बटालियन से हुई थी, जो आज बढ़कर 186 बटालियन हो गई है।

बीएसएफ में एयर विंग, मरीन विंग, आर्टिलरी रेजिमेंट और विशेष इकाइयों सहित 257,363 जवानों का त्याग और समर्पण के साथ गठित वह बल है, जिस पर पूरे देश को नाज है।

हमारे देश की बीएसएफ वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी सीमा सुरक्षा बल है।
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