बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त के जल्द रिहाई पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से सवाल पूछा है। पुणे निवासी प्रदीप भलेकर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आरएम सावंत और जस्टिस साधना जाधव की खंडपीठ ने महाराष्ट्र सरकार को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें इस बात का उल्लेख हो कि संजय दत्त के प्रति उदारता बरतने का फैसला लेने के लिए किन मानकों और प्रक्रियाओं का पालन किया गया।

जस्टिस सावंत ने सरकार से पूछा कि ‘इस बात का आकलन कैसे किया गया कि संजय दत्त का आचरण अच्छा था? अधिकारियों ने यह आकलन किस समय किया जबकि आधे समय तो वह पैरोल पर बाहर थे।’ अदालत इस मामले की सुनवाई एक हफ्ते बाद फिर करेगी।

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने मई 2013 में संजय दत्त को आर्म्स एक्ट के तहत पांच साल का कठोर कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके बाद संजय दत्त ने आत्मसमर्पण कर दिया था और उन्हें पुणे की यरवदा जेल में रखा गया था। सजा के दौरान उन्हें दिसंबर 2013 में 90 दिनों की और फिर 30 दिनों की पैरोल प्रदान की गई थी। बाद में ‘अच्छे आचरण’ का हवाला देते हुए सजा पूरी होने से आठ महीने पहले ही फरवरी, 2016 में उन्हें  रिहा कर दिया गया था।

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