केंद्र सरकार ने हवाई यात्रियों को टिकट की जांच और लंबी लाइन में खड़े होने की समस्या से निजात दिलाने के लिए एक नई योजना की शुरुआत की है। जिसके तहत अब घरेलु हवाई यात्रा के लिए बोर्डिंग पास या पहचान पत्र की जरुरत नहीं होगी। योजना के शुरू होने से अब आपका चेहरा ही आपकी आईडी होगा। इसमें फेस स्कैनर सिस्टम से एक बार रजिस्ट्रेशन कराना होगा और उसके बाद हवाई यात्रा पेपरलेस बन जाएगी। पेपरलेस यात्रा के शुरू होने पर न यात्रियों को कतार में लगकर टिकट की जांच करानी होगी और न ही पहचान का दस्तावेज सुरक्षाकर्मी को दिखाना होगा।
यह प्रक्रिया पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत मेट्रो हवाई अड्डों- दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बंगलुरू में शुरू की जाएगी। साथ ही भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण के तहत आने वाले हवाई अड्डे- वाराणसी, विजयवाड़ा, पुणे और कोलकाता में भी यह व्यवस्था शुरू की जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, ‘यह प्रक्रिया डिजियात्रा के अंतर्गत 5-6 महीने के अंदर भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण के तहत आने वाले हवाई अड्डे पर शुरू हो जाएगी। इसके बाद जल्द ही मेट्रो शहरों में इसे शुरू किया जाएगा। जिसके बाद दूसरे हवाई अड्डों पर भी यह प्रक्रिया लागू होगी। फेशियल रिकग्निशन को थंब इंप्रेशन और आइरिस स्कैन की बजाए चुना गया है। फेशियल रिकग्निशन के दौरान चेहरे को बायोमेट्रिक इंडिकेटर हजारों यूनिट में तोड़ता है और उनका रिकॉर्ड से मिलान करता है। ऐसे में यदि किसी के सिर पर चोट के कारण पट्टी लगी हुई है तो भी उसके बायोमेट्रिक का मिलान किया जा सकता है। फेशियल तस्वीर को हर पांच साल में अपडेट किए जाने की जरुरत है।’
यह डिजीयात्रा प्रणाली वर्तमान प्रक्रिया के अतिरिक्त होगी और यह यात्रियों के लिए अनिवार्य नहीं है। केवल वह घरेलू यात्री जो हवाई अड्डे पर इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करना चाहते हैं वह कर सकते हैं। इसके लिए यात्रियों को विमानन मंत्रालय के पोर्टल में पहचान पत्र जैसे कि पासपोर्ट, आधार कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस के जरिए खुद को पंजीकृत कराना होगा। हवाई अड्डे पर पहली यात्रा के दौरान उसे फेशियल रिकग्निशन करवाना होगा। इसके बाद की यात्राओं के दौरान आपका चेहरा ही आपका पहचान पत्र और टिकट होगा। फेशियल डाटा को सुरक्षित रखा जाएगा और यह केवल भारतीय हवाई अड्डों की पहुंच तक होगा।