बारिश से पूरे उत्तराखंड के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। पहाड़ी इलाका चमोली में बारिश और भू-स्खलन ने तो लोगों की दिनचर्या की कमर ही तोड़ कर रख दी है। कई रास्ते बाधित हैं जिससे आवागमन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। वहीं अब सबसे बड़ा खतरा सामरिक और सामाजिक रुप से बेहद अहम बिरही पुल पर बना हुआ है। पुल के बीच के हिस्से से कुछ दूरी पर भूस्खलन और बारिश से दरारें पड़ चुकीं हैं। जहां से धीरे-धीरे टूटना शुरु हो चुका है।

बदरीनाथ सहित कई इलाकों को जोड़ता है पुल

बिरही पुल चीन सीमा सहित बदरीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी औली सहित मलारी बॉर्डर को जोड़ने वाला इकलौता पुल और आवागमन का बेजोड़ साधन है। लेकिन चमोली बदरीनाथ नेशनल हाइवे पर स्थित बिरही पुल खतरे की जद में है। वहीं प्रशासन ने ऐसे में भी चुप्पी साध रखी है जैसे किसी बड़ी घटना के इतंजार में हो। चमोली के तहसीलदार सोहन सिंह रांगड़ ने पूछने पर अजीबो-गरीब दलील दी कहा, नेशनल हाइवे पर निर्माण कार्यों को देखने वाली कम्पनी को जानकारी दी गई है। उनके इंजीनियरों ने भी पुल का निरीक्षण भी कर लिया है।

नदी को डायवर्ट करने के बाद ही पुल की मरम्मत: प्रशासन

बिरही नदी का जलस्तर बढ़ने से पुल खतरे में आ गया है। नदी की तेज धार मिट्टी को बहाकर ले जा रही है। जिससे अगर समय पर पुल के बचाव के उपाय नहीं किये गये तो बॉर्डर सहित कई इलाकों के हजारों ग्रामीणों की रोजी-रोटी तक पर संकट आ सकता है। वहीं प्रशासन का कहना है कि, बिरही नदी का जलस्तर अधकि होने के कारण पहले नदी को डायवर्ट करना होगा तभी बिरही पुल के मरम्मत का काम शुरु किया किया जा सकता है।

भारी बारिश और भूस्खलन से पुल में दरार

ये वही इलाका है जहां 2013 की आपदा में भारी तबाही हुई था। इस जगह पर गढ़वाल मंडल का रेस्टोरेंट पूरी तरह जल में समाहित हो गया था। यहां कई बार बादल फटने की घटनाएं भी हुईं हैं। ऐसे में सामरिक जरुरतों के साथ ही लोगों की अनिवार्यता बन चुके बिरही पुल के तुरंत ही मरम्मत की आवश्यकता है।

एपीएन ब्यूरो

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