बिहार में शराबबंदी को पूरी तरह से लागू करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं जिससे इसे जड़ से खत्म किया जा सकेगा। बिहार में शराबबंदी के बाद विदेशी शराबों की तस्करी काफी बढ़ गई है इसलिए इसका उपाय राज्य सरकार निकाल रही है। जिसमें पुलिसकर्मियों को गुप्त सूचना एकत्र करने पर खासतौर से ध्यान देने को कहा जा रहा है।
शराब तस्करी के धंधे को पूरी तरह से ध्वस्त करने के लिए खुफिया जानकारी एकत्र करना सबसे जरूरी है, इसीलिए इसमें पुलिस के साथ जिला या प्रखंड स्तर पर तैनात उत्पाद एवं मद्य निषेध कर्मियों समेत अन्य संबंधित विभागों के कर्मियों को भी शामिल किया गया है। इस काम को अंजाम देने के लिए गृह विभाग ने पुलिसकर्मियों को गुप्त सेवा व्यय के रूप में राशि जारी की है। इतना ही नहीं, इसमें आने वाला सारा खर्चा राज्य सरकार उठाएगी। जो भी पुलिसकर्मी या निश्चित विभाग का कर्मचारी गुप्त सूचना एकत्रित करके देगा तो उसे सेवा व्यय के तौर पर 10 हजार रुपये ईनाम के रूप में दिए जाएगें। अनुमान को देखते हुए बिहार के सभी जिलों के डीएम को एक तय राशि दी गई है। इसमें 85 फीसदी राशि डीएम और प्रमंडलीय आयुक्त के स्तर पर कुल आवंटन का 15 फीसदी राशि खर्च करने का अधिकार दिया गया है।
तय की गई राशि का प्रयोग केवल शराब के धंधे को पकड़ने के लिए ही किया जाएगा। साथ ही साथ इस कार्य के लिए खुफिया विभाग से संबंधित कार्यों से जुड़े अहम दस्तावेज भी जमा करवाना जरूरी होगा। यदि दस्तावेज बिल के साथ जमा नहीं करवाए गए तो ट्रेजरी से पैसा की निकासी नहीं हो पाएगी। तय की गई राशि में जितना भी खर्च होगा, उसका बिल तीन महीने के अंदर प्रमाण-पत्र विभाग में जमा करवाना होगा। इस पर किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो सके इसलिए सेवा व्यय का पूरा हिसाब एक रजिस्टर में लिखा जाएगा, ताकि वास्तविक खर्च की स्थिती को जाना जा सके।
शराबबंदी के बाद अवैध शराब की तस्करी राज्य में बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है। इसलिए इसमें शामिल धंधेबाजों को पकड़ने और जड़ तक पहुंचने के लिए खुफिया सूचना की भूमिका बेहद अहम है। इस अहम कदम से शराब की सप्लाइ और डिस्ट्रीब्यूशन लाइन को भी खत्म की जा सकेगा।