भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार पांच आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। पुणे पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए और वक्त मिल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने पुणे पुलिस को आरोपत्र दाखिल करने के लिए 90 दिन की मोहलत देने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी गडलिंग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला महाराष्ट्र सरकार की ओर बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने कहा कि तकनीकी वजह से चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई। अगले दस दिनों में चार्जशीट दाखिल होगी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में गिरफ्तार वकील सुरेंद्र गाडलिंग और अन्य आरोपियों के मामले में पुणे पुलिस को तगड़ा झटका दिया था। हाईकोर्ट ने आरोप-पत्र पेश करने के लिए पुलिस को दी गई 90 दिन की अतिरिक्त मोहलत के आदेश को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट की एकल बेंच की जस्टिस मृदुला भाटकर ने कहा था कि आरोप-पत्र पेश करने के लिए अतिरिक्त समय देना और गिरफ्तार लोगों की हिरासत अवधि बढ़ाने का नली कोर्ट का आदेश गैरकानूनी है। हाईकोर्ट के इस आदेश से गाडलिंग और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की जमानत पर रिहाई का रास्ता खुल गया, लेकिन राज्य सरकार के अनुरोध पर जस्टिस भाटकर ने अपने आदेश पर स्टे लगाते हुए इस पर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए राज्य सरकार को एक नवंबर तक का समय दिया।
बता दें कि पुणे पुलिस ने गडलिंग के अलावा नागपुर के यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी की प्रोफेसर शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धवाले, सामाजिक कार्यकर्ता महेश राउत और केरल की रहने वाली रोना विल्सन को कोरेगांव-भीमा गांव में 31 दिसंबर 2017 और एक जनवरी 2018 को हुई हिंसा में 6 जून को गिरफ्तार किया था।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने हाउस अरेस्ट के आदेश दिए थे तो दिल्ली हाईकोर्ट ने हैबियस कारपस याचिका कैसे सुनी ? भीमा कोरेगांव हिंसा में गौतम नवलखा को आजाद करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। महाराष्ट्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसमें ट्रांजिट रिमांड रद्द करने और हाउस अरेस्ट हटाने के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिका में हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाकर तुरंत हाउस अरेस्ट के आदेश बहाल करने की मांग की गई है।