Bal Thackeray Jayanti: देश के कद्दावर नेता और Shivsena के संस्थापक बाल ठाकरे की आज जयंती है। बाला साहब ठाकरे की बात करें तो वो अपने अलग अंदाज के लिए महाराष्ट्र के साथ-साथ पूरे देश में प्रसिद्ध थे और उन्हें हिंदू हृदय सम्राट कहा जाता था। बाला साहब की जयंती के अवसर पर देश के कई राजनेताओं ने उन्हें याद किया। जिसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, बीजेपी विधायक Dinesh Chaudhary शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें याद करते हुए ट्वीट किया है, ”मैं श्री बालासाहेब ठाकरे की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं। उन्हें एक उत्कृष्ट नेता के रूप में हमेशा याद किया जाएगा जो हमेशा जनता के साथ खड़े रहे।”
Bal Thackeray ने करियर की शुरुआत कार्टूनिस्ट के तौर पर की थी
Bal Thackeray ने अपने करियर की शुरुआत एक कार्टूनिस्ट के तौर पर की थी। उन्होंने अपना पहला काम Bombay के The Free Press Journal में किया था। जिसके बाद 1960 में उन्होंने खुद की साप्ताहिक पत्रिका मार्मिक निकाली थी। बाला साहब की राजनीतिक विचारधारा बहुत हद तक उनके पिता केशव सीताराम ठाकरे (Keshav Sitaram Thackeray) के विचारों पर आधारित थी। उनके पिता संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे और उन्होंने मराठी भाषियों के लिए एक अलग राज्य की मांग की थी।
1966 में शिवसेना की स्थापना की थी
Bal Thackeray ने मार्मिक पत्रिका के जरिए मुंबई में गैर मराठियों के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ अभियान चलाया था। उन्होंने 1966 में महाराष्ट्र के हितों और मराठी अस्मिता की विचारधारा की बात करते हुए शिवसेना पार्टी की स्थापना की थी। उनकी पार्टी का मुख्य रूप से मुंबई में बड़ा राजनीतिक प्रभाव था।
Bal Thackeray
1960 के दशक के अंत में और 1970 के दशक की शुरुआत में ठाकरे ने लगभग राज्य के सभी राजनीतिक दलों के साथ अस्थायी गठबंधन बनाकर शिवसेना को आगे बढ़ाया था। बता दें कि शिवसेना का प्रमुख अखबार सामना (Saamana) को भी बाल ठाकरे ने चालू किया था।
6 साल के लिए किसी भी चुनाव में मतदान करने पर प्रतिबंध लगा था
1999 में धर्म के नाम पर वोट मांगने को लेकर चुनाव आयोग ने बाला साहब ठाकरे को छह साल के लिए किसी भी चुनाव में मतदान करने और चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। बता दें कि अपने राजनीतिक आंदोलन के चलते वो कई बार जेल गए थे हालांकि उन पर कभी भी कोई बड़ा मुकदमा नहीं हुआ।
ऐसा माना जाता था है कि शिवसेना की सरकार जब महाराष्ट्र में आई थी तो मुख्यमंत्री ना होते हुए भी वे पूरे महाराष्ट्र को चलाते थे। बता दें कि इतने बड़े राजनीतिक कैरियर के दौरान बाला साहब ने ना कभी चुनाव लड़ा था और ना ही किसी पद पर रहे थे।
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