केंद्र सरकार द्वारा भारतीय राजनीति के दिग्गज नेताओं को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न दिए जाने पर एक बार फिर विपक्ष की ओर से निशाना साधा गया है और इसे (भारत रत्न को) चुनावीकरण और राजनीतिकरण के लिए इस्तेमाल करने की बात कही गई है। राजस्थान के पूर्व सीएम और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट से एक पोस्ट शेयर किया है जिसमें उन्होंने कहा कि एक वर्ष में तीन भारत रत्न दिए जानें वाले नियम को तोड़कर, भारत रत्न 5 विभूतियों को दिया गया है। इस नियम को तोड़कर सम्मान की गरिमा कम की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे नहीं लगता ऐसा करके एनडीए अलायंस को कोई बहुत बड़ा फायादा होगा।
कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने अपने एक्स पोस्ट पर लिखा कि जिन भी दिग्गजों को भारत रत्न दिया गया है हम भारत सरकार के इस फैसले का स्वागत हैं। अशोक गहलोत ने कहा, “भारत सरकार द्वारा 5 विभूतियों को भारत रत्न दिए जाने का स्वागत करते हैं। इन विभूतियों के लिए हमारे दिल में अथाह सम्मान है एवं देश के लिए इनका योगदान अतुलनीय है।”
‘एक साल में अधिकतम तीन भारत रत्न का नियम है…सरकार ने सम्मान की गरिमा कम की है’- अशोक गहलोत
गहलोत ने भारत रत्न देने के नियमों का जिक्र करते हुए लिखा, “हालांकि ऐसा लगता है कि एक वर्ष में अधिकतम 3 भारत रत्न देने के नियम को तोड़कर आनन-फानन में भारत रत्न देकर इस सम्मान का चुनावीकरण एवं राजनीतिकरण किया गया है एवं सम्मान की गरिमा कम की गयी है। मुझे नहीं लगता है कि इन निर्णयों से एनडीए अलायंस को बहुत बड़ा लाभ मिल सकेगा।
गहलोत ने कहा, “अगर एनडीए सरकार सच में इनके योगदान को सम्मानित करना चाहती है तो श्री कर्पूरी ठाकुर द्वारा ‘पिछड़ों के उत्थान’ के लिए किए गए प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए ‘जातिगत जनगणना’ करवाए, चौधरी चरण सिंह एवं एम एस स्वामीनाथन की मांग अनुसार ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ का कानून बनाए एवं पीवी नरसिम्हा राव द्वारा बनाए गए ‘प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ की पालना सुनिश्चित करवाए जिसकी आजकल रोज अवहेलना की जा रही है एवं एनडीए सरकार के दौरान लालकृष्ण अडवाणी द्वारा जताई गई अघोषित आपातकाल जैसी आशंका के माहौल को सामान्य करने का प्रयास करे। अन्यथा सब यही मानेंगे कि ये सम्मान सिर्फ चुनावी लाभ के लिए हैं।”