जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजों और प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए सेना अब प्लास्टिक बुलेट का इस्तेमाल करेगी। सेना इससे पहले पत्थरबाजों से निपटने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल करती थी। पैलेट गन के इस्तेमाल को लेकर काफी विरोध भी हुआ था। माना जा रहा है कि प्लास्टिक बुलेट को सेना में बतौर पायलट गन के विकल्प के रूप में शामिल किया जा रहा है। हालांकि सरकार से सेना को जारी किये निर्देशों में यह स्पष्ट किया है कि सुरक्षाबल पैलेट गन का प्रयोग तभी करें जब उन्हें यह लगे कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है और यह अंतिम विकल्प होना चाहिए।
इससे पहले पिछले हफ्ते पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सरकार बहुत जल्द पैलेट गन के विकल्प के तौर पर एक दूसरा हथियार लेकर आएगी। प्लास्टिक बुलेट को सरकार के इसी जवाब से जोड़ कर देखा जा रहा है।
सरकार ने कोर्ट में जवाब देते हुए यह भी कहा था कि कश्मीर के प्रदर्शनकारी दिल्ली के जंतर मंतर वाले प्रदर्शनकारियों जैसे नहीं हैं। घाटी में प्रदर्शन के दौरान सेना पर पत्थर,ग्रेनेड और कई दूसरी चीजों का इस्तेमाल प्रदर्शनकारी करते हैं। जिससे सेना और निजी संपत्ति को काफी नुकसान पहुँचता है। साथ ही इन पर बदबूदार पानी, लेजर डेजलर और तेज आवाज करने वाली मशीनों जैसे अन्य विकल्पों का असर नहीं होता है। इसी के बाद अंदाज़ा लगाया जा रहा था कि पैलेट गन की जगह सरकार सेना के लिए कुछ अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है।
गृह मंत्रालय द्वारा प्लास्टिक बुलेट और पैलेट गन के इस्तेमाल से सम्बंधित आदेश जारी कर दिए गए हैं। जिसके बाद सेना को ऐसी एक हज़ार प्लास्टिक बुलेट्स की आपूर्ति भी कर दी गई है। आपको बता दें की प्लास्टिक से बनी इन बुलेट के इस्तेमाल से किसी तरह का घाव नहीं होता और इन्हें इंसास जैसे हथियारों से भी चलाया जा सकता है।