जहां एक तरफ बसपा सुप्रीमो मायावती गठबंधन को लेकर शर्त रख रही हैं। वहीं दूसरी तरफ अखिलेश यादव हर मंच से यही कह रहे हैं कि गठबंधन ही यूपी में बीजेपी को रोक सकती है। भले ही इसके लिए उन्हें दो चार क़दम पीछे क्यों न हटना पड़े। बता दें मायावती ने कहा है कि सम्माजनक सीटें मिलने पर ही गठबंधन होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो बसपा अकेले चुनाव लड़ सकती है।

गठबंधन के लिए यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश ने कांग्रेस से पहल करने को कहा क्योंकि वह एक राष्ट्रीय पार्टी है। उन्होंने कांग्रेस से बड़ा दिल दिखाने की अपील की। अखिलेश यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री उम्मीदवार कोई मुद्दा नहीं है। चुनाव नतीजे आने के बाद इसे तय कर लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों की बड़ी भूमिका होगी क्योंकि वही बीजेपी का मुकाबला कर सकती है।

बीजेपी यूपी में हारी तो नहीं कर पाएगी वापसी

अखिलेश यादव ने कहा है कि जनता में गुस्सा है। इसलिए हर हालत में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हार हुई तो यह देश की सत्ता में वापसी नहीं कर पाएगी। अखिलेश ने बताया कि जिन्होंने 50 साल तक सत्ता में रहने की बात कही है, पता नही तब तक वे रहेंगे या नहीं लेकिन यह तय है कि देश की जनता अगले 50 हफ्तों में अपना फैसला सुनाने जा रही है।

RSS से है लड़ाई:

यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं के बीच कहा कि हमारी लड़ाई बीजेपी से है लेकिन उससे भी ज्यादा सामने लड़ाई में न दिखाई देने वाली आरएसएस से है। संघ की विचारधारा से समाजवादी विचारधारा ही लड़ सकती है। उन्होंने कहा कि जिस आरएसएस ने 70 सालों तक अपने मुख्यालय (नागपुर) पर तिरंगा न फहराया हो उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अखिलेश यादव ने कहा कि हमारा एजेण्डा देश को बचाना है उसके लिए हम गठबंधन करेंगे।

चुनाव बैलेट पेपर से हो:

उन्होंने कहा कि देश में चुनाव बैलेट पेपर से होने चाहिए क्योंकि ईवीएम की विश्वसनीयता पर उंगली उठी है। चुनाव आयोग को निष्पक्षता से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा इस बार चुनाव में किसान, बेरोजगारी, मंहगाई के मुद्दे से बीजेपी को ध्यान नहीं भटकाने देंगे। केन्द्र सरकार को चार साल हो गए कोई काम नहीं हुआ। समाजवादी पार्टी के कामों को ही वे अपना बताकर उद्घाटन-शिलान्यास कर रहे है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here