Ahmedabad Blast Case: अहमदाबाद में 2008 के सीरियल बम धमाका मामले में विशेष अदालत ने शुक्रवार को सभी 49 दोषियों को सजा सुनाई है। 49 दोषियों में से 38 को मौत की सजा और 11 को आजीवन कारावास की सजा दी गई है। बता दें कि 8 फरवरी को,विशेष न्यायाधीश एआर पटेल ने कुल 78 आरोपियों में से 49 को भारतीय दंड संहिता के विभिन्न अपराधों के तहत दोषी माना था, जिसमें राज्य के खिलाफ हत्या, देशद्रोह और युद्ध छेड़ने के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) के अपराध शामिल थे। अदालत ने पिछले साल सितंबर में 77 आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई पूरी की थी। मुकदमे के 78 आरोपियों में से एक सरकारी गवाह बन गया था। आइए इस पूरे मामले को विस्तार से बताते हैं:
Ahmedabad Blast Case: 70 मिनट के भीतर हुए थे 20 विस्फोट
गौरतलब है कि 26 जुलाई, 2008 को 70 मिनट के भीतर शहर में कम से कम 20 विस्फोट हुए थे, जिसमें 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक घायल हो गए थे। इस धमाके से पहले गुजरात पुलिस को इंडियन मुजाहिदीन आतंकवादी संगठन से एक ई-मेल प्राप्त हुआ था, जिसमें आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी ली गई थी। हालांकि, इस्लामी आतंकवादी समूह हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। बाद में गुजरात पुलिस ने बम विस्फोटों के सिलसिले में संदिग्ध मास्टरमाइंड मुफ्ती अबू बशीर को नौ अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया।
ऐसे लगाए गए थे बम
अहमदाबाद पुलिस के मुताबिक, बम टिफिन में साइकिल पर लगाए गए थे, जो 13 मई 2008 को जयपुर में हुए बम विस्फोटों के जैसे ही था। कई धमाकों में अहमदाबाद नगर परिवहन सेवा की सिटी बस को निशाना बनाया गया, जिससे वाहनों के परखच्चे उड़ गए थे। शुरुआती सिलसिलेवार धमाकों के करीब 40 मिनट बाद दो अस्पतालों के परिसर में भी दो विस्फोट हुए। अस्पतालों में एक विस्फोट तब हुआ जब घायलों को वहां भर्ती कराया जा रहा था।
अगले दिन हाटकेश्वर इलाके में एक और बम मिला और उसे निष्क्रिय कर दिया गया। इसी दौरान तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र मणिनगर से दो जिंदा बम भी बरामद किए गए थे। गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद धमाकों के एक दिन बाद गुजरात के एक और बड़े शहर सूरत में दो और बमों को बरामद किया और निष्क्रिय कर दिया। एक अस्पताल के पास सड़क के किनारे खड़ी डेटोनेटर सहित विस्फोटक बनाने के लिए आवश्यक सामग्री से भरी दो कारें भी मिली थी।
मामले में कब-कब हुई थी गिरफ्तारियां
अहमदाबाद और सूरत की घटना के बाद गुजरात पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की जांच-पड़ताल कई साल चली। जुलाई 2008 में धमाकों की जब पुलिस ने जांच शुरू की थी तो कुछ आतंकी पाकिस्तान चले गए थे। स्पेशल टीम ने महज 19 दिनों में 30 आतंकियों को दबोच लिया था। इस मामले में कार्रवाई करते हुए मौलाना अब्दुल हलीम को 27 जुलाई 2008 को अहमदाबाद के बीच में दानी लिमदा से गिरफ्तार किया गया था। उस पर 2002 की गुजरात हिंसा के बाद मुस्लिम युवाओं को उकसाने और उन्हें उत्तर प्रदेश भेजने का आरोप लगाया गया था। उस पर 2003 में 33 युवकों को आतंकी प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भेजने का भी आरोप लगाया गया। उनकी गिरफ्तारी के बाद, उन्हें अहमदाबाद में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था।
15 अगस्त को गुजरात पुलिस ने बम विस्फोटों के सिलसिले में मुफ्ती अबू बशीर और नौ अन्य को गिरफ्तार किया। बशीर पूर्वी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के बिनापारा गांव का रहने वाला है और माना जाता है कि वह सिमी का कार्यकर्ता था। 24 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के नागदा जिले के गोमतीपुर क्षेत्र के निवासी सिमी कार्यकर्ता अब्दुल रजिक मंसूरी को गुजरात के निवास हारुन राशिद के साथ गिरफ्तार किया गया था और पूछताछ के लिए गुजरात भेजा गया था। इसी मामले में 11 नवंबर को,मध्य प्रदेश के आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने उज्जैन में सिमी के एक शीर्ष क्रम के सदस्य और हमले के एक प्रमुख साजिशकर्ता और निष्पादक कयामुद्दीन कपाड़िया को गिरफ्तार किया।
पुलिस ने दावा किया कि कपाड़िया ने अहमदाबाद विस्फोटों में अपनी संलिप्तता स्वीकार की और उसने मुंबई के अब्दुल सुभान कुरैशी उर्फ तौकीर और कर्नाटक के रियाज भटकल के साथ दिल्ली विस्फोटों को अंजाम देने के लिए आतिफ के नेतृत्व वाले सिमी सेल के साथ सहयोग किया। बाद में दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ के साथ मुठभेड़ में आतिफ मारा गया था।
13 नवंबर को मुख्य आरोपी कयामुद्दीन कपाड़िया के भाई रफीउद्दीन कपाड़िया को अहमदाबाद की सिटी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी से पुलिस द्वारा पकड़े गए कुल लोगों की संख्या 43 हो गई। सिलसिलेवार विस्फोट मामले की जांच कर रहे संयुक्त पुलिस आयुक्त आशीष भाटिया ने कहा था कि हमने कयामुद्दीन के भाई रफीउद्दीन कपाड़िया को गिरफ्तार किया है। वह था वडोदरा के पास हलोल में सिमी के प्रशिक्षण शिविर में मौजूद। वह मूल रूप से वडोदरा का रहने वाला है और अपराध शाखा के अधिकारियों ने उसे आज अहमदाबाद से गिरफ्तार कर लिया।
26 मार्च 2012 को, महाराष्ट्र एटीएस ने संभाजीनगर में एक मुठभेड़ में एक विस्फोट संदिग्ध मोहम्मद अबरार बाबू खान उर्फ अबरार शेख को गिरफ्तार किया। मुठभेड़ में खलील कुरैशी मारा गया और मोहम्मद शकीर घायल हो गया। ये सभी आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य बताए जा रहे हैं। गोलीबारी के दौरान एक पुलिस कांस्टेबल भी घायल हो गया। 19 जून 2016 को, गुजरात आतंकवाद विरोधी दस्ते ने नासिर रंगरेज़ को बेलगाम से गिरफ्तार किया।
नरेंद्र मोदी ने गठित कराई थी स्पेशल टीम
देश के अलग-अलग शहरों में हो रहे हमलों के बीच गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पेशल टीम गठित करने का निर्देश दिया था। उनके आदेश पर JCP क्राइम के नेतृत्व में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की एक विशेष टीम का गठन किया गया था। इस टीम के लीडर थे DGP आशीष भाटिया। इस टीम में अभय चुडास्मा (DCP क्राइम) और हिमांशु शुक्ला (ASP हिम्मतनगर) शामिल थे। इसके अलावा मामलों की जांच तत्कालीन DSP राजेंद्र असारी, मयूर चावड़ा, उषा राडा और वीआर टोलिया को सौंपी गई।
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