न्यायपालिका और केंद्र सरकार के बीच रिश्ते गर्मी की छुट्टियों के बाद सामान्य हो सकते है। क्योंकि अब कॉलेजियम बदला हुआ होगा। जस्टिस चेलमेश्वर रिटायर हो चुके है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में जजों के वरिष्ठता क्रम में अब नंबर पांच जस्टिस अर्जन कुमार सीकरी की कॉलेजियम में एंट्री हो चुकी है। ऐसे में सरकार के साथ जजों की नियुक्तियों को लेकर चल रही तनातनी वाले रिश्तों में थोड़ी सहजता की उम्मीद की जा सकती है।
उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसफ को सुप्रीम कोर्ट लाए जाने के सबसे बड़े पैरोकारों में से एक जस्टिस चेलमेश्वर कॉलेजियम में नहीं होगें। 43 दिनों की गर्मी छुट्टियों के बाद 2 जुलाई से सुप्रीम कोर्ट खुल रही है, अनुमान है कि अब माहौल बदला-बदला रहेगा। बेंचों में जज बदले होंगे, सरकार के साथ तालमेल के मुद्दे भी शायद बदल जाएं।
हालांकि जस्टिस के एम जोसफ को सुप्रीम कोर्ट में लाए जाने का मुद्दा बने रहने के आसार हैं। सुप्रीम कोर्ट के लिए पांच जजों के कॉलेजियम में तीन तो तेवर वाले जज रहेंगे ही। ऐसे में दिलचस्प ये देखना होगा कि आखिर जस्टिस गोगोई का रवैया कैसा रहता है, क्योंकि कायदे से उनको 2 अक्टूबर से मुख्य न्यायाधीश बनना है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए दो वरिष्ठ वकीलों मोहम्मद मंसूर और बशारत अली खान के नाम की कॉलेजियम की सिफारिश लौटाने के सरकार के फैसले पर भी मामला फंस जाए। इन दो सीनियर वकीलों में मोहम्मद मंसूर सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व जज जस्टिस सगीर अहमद के बेटे भी हैं।
वहीं चीफ जस्टिस अपने रिटायरमेंट से करीब एक महीना पहले अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजते हैं। ऐसे में उनके बागी तेवर और चीफ जस्टिस के साथ उनके रिश्तों का तासीर बरकरार रहती है
बहरहाल, मोहम्मद मंसूर चीफ स्टैंडिंग काउंसिल की हैसियत से हाईकोर्ट में योगी सरकार के फैसलों और नीतियों का बचाव करते रहे हैं। अब कॉलेजियम का मूड इन दोनों गरम रहे मुद्दों पर कैसा रहता है ये देखने वाली बात होगी।
ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन