उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राज्य में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने में लगी है। शायद यही कारण है कि, यूपी के बड़े शहरों को कमिश्नरों के हाथ में सौंपा जा रहा है। राज्य में सबसे पहले यूपी की राजधानी लखनऊ में कमिश्नरी सिस्टम लागू किया गया। उसी समय नोएडा में कमिश्नर के हाथ में सौंप दिया गया था।
यूपी में अब वाराणसी और कानपुर में भी कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी है। कैबिनेट से प्रस्ताव पास होने के बाद इस पर नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है। वहीं सीनियर आईपीएस और इस समय डायल 112 की जिम्मेदारी संभाल रहे असीम अरुण कानपुर के पहले पुलिस कमिश्नर होंगे। वहीं ए सतीश गणेश वाराणसी के पहले पुलिस कमिश्नर होंगे।
असीम अरुण
इसके साथ ही कई आईपीएस अफसरों को नई तैनाती दी जा रही है, इसमें कानपुर और वाराणसी के कप्तान भी शामिल हैं। जानकारी के अनुसर वाराणसी में अब तक एसएसपी रहे अमित पाठक को गाजियाबाद में डीआईजी/एसएसपी पद पर भेजा जा रहा है। वहीं कानपुर और वाराणसी में भी आईजी और डीआईजी रैंक के अफसरों के साथ एसपी रैंक के कई अफसरों की तैनाती लिस्ट तैयार हो रही है।
बता दें दोनों ही जिलों को दो-दो हिस्सों में बांट दिया गया है। वाराणसी में वाराणसी नगर और ग्रामीण और कानपुर में कानपुर नगर व कानपुर आउटर के रूप में बांटा गया है। कैबिनेट के निर्णय के बाद अब उक्त दोनों जिलों में पुलिस कमिश्नर की तैनाती की जा रही है। वाराणसी नगर में पुलिस कमिश्नर और ग्रामीण में एसपी को कमान सौंपी जाएगी। इसी तरह कानपुर नगर में पुलिस कमिश्नर और कानपुर आउटर में एसपी को जिम्मेदारी दी जाएगी। जिलाधिकारी का दखल ग्रामीण क्षेत्रों में ही रहेगा। नगर क्षेत्र कमिश्नरेट में कानून व्यवस्था में जिलाधिकारी का दखल नहीं रहेगा।
ए सतीश गणेश
यूपी के बड़े शहरों में अपराध और अपराधियों पर अधिक नियंत्रण करने के लिए इस सिस्टम का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण वाराणसी और सूबे की औद्योगिक नगरी होने के कारण कानपुर में इसे लागू करने के लिए प्रस्ताव बनाया गया था।
ये होंगे बड़े बदलाव
उत्तर प्रदेश के शहर कानपुर और वाराणसी में कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद अब बड़े बदलाव भी होंगे। इसके तहत पुलिस कमिश्नर, ज्वॉइंट कमिश्नर,डिप्टी कमिश्नर, असिस्टेंट कमिश्नर जैसे पद पुलिस अधिकारियों को दिए जाएंगे। पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था से जुड़ेे मुद्दों पर अहम निर्णय ले सकते हैं। बता दें कि, इस नए सिस्टम के लागू होने के बाद अब पुलिस अधिकारी को जिलाधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के अधिकार मिलेंगे।
इसके साथ ही शांतिभंग की आशंका में निरुद्ध करने से लेकर गुंडा एक्ट, गैंगेस्टर एक्ट और रासुका तक की कार्रवाई पुलिस कमिश्नर के हाथों होगी। इसके अलावा एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रियल शक्तियां भी पुलिस को मिल जाएंगी। होटल के लाइसेंस, बार के लाइसेंस, हथियार के लाइसेंस देने का अधिकार भी इसमें शामिल होगा। अहम बात ये है कि, ऐसे मामले में डीएम से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। धरना-प्रदर्शन की अनुमति देना या न देना और विषम परिस्थितियों में लाठीचार्ज के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार भी पुलिस कमिश्नर के पास होगा।