सिख समुदाय के करतारपुर कॉरिडोर के बाद अब कश्मीरी पंडितों ने शारदा पीठ को खोलने की मांग तेज कर दी है। कश्मीरी पंडितों का कहना है कि सरकार उनके सबसे अहम तीर्थस्थल शारदा पीठ तक जाने के लिए कॉरिडोर बनवाने की पहल करे।

उधर मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक भारतीय मीडिया से बात करते हुए इमरान ने अपने बयान में पीओके में स्थित शारदा पीठ और पंजाब प्रांत में स्थि‍त कटासराज मंदिर का जिक्र किया। इमरान के इस बयान का जम्‍मू कश्‍मीर की पूर्व सीएम पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने स्‍वागत किया है।

जम्‍मू कश्‍मीर के जाने-माने प्रोफेसर अयाज रसूल नाजकी साल 2007 में शारदा पीठ गए थे और वह पहले भारतीय थे जिन्‍होंने इस श्राइन को देखा था। यह श्राइन कश्‍मीरी पंडितों के लिए बहुत अहम है।

शारदा पीठ को शारदा पीठम भी कहते हैं और यह नीलम घाटी में स्थित शारदा यूनिवर्सिटी के सामने ही है। पीओके में लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर स्थित मुजफ्फराबाद से यह 160 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव में आता है। इस गांव को शारदी या सारदी कहते हैं।

इस गांव में नीलम नदी जिसे भारत में किशनगंगा के नाम से जानते हैं, वह मधुमति और सरगुन की धारा से मिल जाती है। शारदा पीठ न सिर्फ हिंदुओं बल्कि बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी बहुत अहम है। यहां से कालहाना और आदि शंकर जैसे दार्शनिक निकले हैं।

कश्‍मीरी पंडित शारदा पीठ को काफी अहम मानते हैं और कहते है कि ये तीन देवियों से मिलकर बनी मां शक्ति का का स्‍वरूप है- शारदा, सरस्‍वती और वागदेवी जिसे भाषा की देवी मानते हैं।

द सेव शारदा कमेटी जो कश्मीरी पंडितों के तीर्थयात्रियों को शारदा मंदिर जाने की इजाजत देने के अभियान को चला रहा है, उसका कहना है कि उसके सदस्य दोनों तरफ के लोग हैं। उन्होंने केंद्र सरकार को एक याचिका दी है और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है।