सवा दो लाख कर्मचारियों की वर्कफोर्स वाली दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ऑटो मोबाइल कंपनी-जनरल मोटर्स ने 18 मई को भारत में अपनी बिक्री बंद करने का जहां एलान किया था वहीं फोक्सवैगन इंडिया भी अब भारत को बाय बाय कह सकती है। क्योंकि फोक्सवैगन को भी बिक्री के लिए भारत में जूझना पड़ रहा है। इसी के साथ खबर यह भी है कि इन दोनों के अलावा स्कोडा, फोर्ड और फिएट भी भारत में अपना कारोबार बंद कर सकती है।

अब बात अगर जनरल मोटर्स की करें तो अब ये भारत में कारें बेचना बंद कर देगी और पुणे के तालेगांव स्थित प्लांट से निर्यात के मकसद से कारों का उत्पादन करेगी। दरअसल दुनिया में हर 8.33 सेकेंड में एक कार बेचने का दावा करने वाली जीएम कंपनी साल 2016-17 में भारत में सिर्फ 25,823 कारें ही बेच पाई है। यह भारत में सभी बिकने वाली कारों का सिर्फ 0.85 वां हिस्सा ही है।

आपको बता दें कि पिछले कई सालों से जीएम की हालत खस्ती हो रखी है। पहले जीएम ने अपना गुजरात का प्लांट बंद कर दिया था तो अब कंपनी ही बंद करने जा रही है।  आपको बता दें कि जीएम की सबसे बड़ी समस्या इसकी अस्थिरता है। पिछले 21 साल में यहां नौ सीईओ बदले गए हैं, जबकि 35 सालों में मारुति ने सिर्फ पांच सीईओ बदले। अस्थिरता सिर्फ मैनेजमेंट की ही नहीं है, कारों के मॉडल्स में भी है।

पिछले बीस सालों में जनरल मोटर्स ने भारत में करीब 20 मॉडल लॉन्च किए, इनमे से कंपनी ने दस वापस भी ले लिए। पहले मॉडल लॉन्च करने, फिर वापस ले लेने  के कारण इसने धीरे धीरे अपने ग्राहकों को खो दिया था। कंपनी के हालिया फैसले से इसके डीलर और ग्राहक अब भी हैरान हैं।

इसी तरह फोर्ड को भी भारतीय बाजारों में कारोबार करने में मुश्किल आ रही है। 2014 में कंपनी के ग्लोबल सीईओ बने मार्क फील्ड्स को हाल ही में हटा दिया गया है। इसकी दो बड़ी वजहें कंपनी के शेयरों का अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाना और मूल व्यवसाय का विस्तार करने में अक्षमता रहीं है। ऐसी ही हालत स्कोडा और फिएट की भी है। दरअसल भारत का बाजार एक जटिल और उलझा हुआ बाजार है।

फोक्सवैगन इंडिया के एमडी भी भारत को दुनिया के जटिल बाजारों में एक बताते हुए कहते हैं कि  ‘अगर आप यहां सफल हो गए तो इसका मतलब है कि आपको दुनिया के ऐसे कई बाजारों में कामयाबी मिल जाएगी। हमें पता है कि भारतीय बाजार आने वाले वर्षों में बड़े बाजारों में शुमार होने वाला है।’