तालिबान ने अफगानिस्तान (Afghanistan) पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है। अमेरिकी सेना के होते हुए काबुल में जिस तरह से अफगान राष्ट्रीय रक्षा, सुरक्षा बलों (ANDSF) या नियमित अफगानिस्तान सरकार के सैनिकों और पुलिस बलों ने आत्मसमर्पण किया वह चौंकाने वाली बात है लेकिन इसके पीछे तालिबान की रेड यूनिट की ताकत है।
अफगानिस्तान में काबिज हुआ तालिबान
तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को देश का राष्ट्रपति घोषित कर दिया गया है। बरादर ने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर 1994 में अफगानिस्तान में तालिबान आंदोलन की शुरुआत की थी। आपको बता दें कि वर्ष 2001 तक देश के काफी बड़े हिस्से पर तालिबान का ही शासन था। लेकिन यहां पर अमेरिकी फौज के आने के बाद तालिबान काफी हद तक सिमट कर रह गया था। दो दशक के बाद एक बार फिर से तालिबान ने सत्ता को काबिज कर लिया है।
सैनिकों और पुलिस बलों ने किया आत्मसमर्पण
बता दें कि तालिबान का खौफ देख कर अफगानी सेना ने हार मान ली और सफेद पोशाक में तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। वहीं राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शांतिपूर्वक सत्ता को तालिबान के हाथ में सौंप दिया और रातों रात गनी ने देश छोड़कर ताजिकिस्तान चले गए।