गढ़वाल मंडल शिक्षा विभाग के अपर महानिदेशक दफ्तर में अभिभावकों ने जमकर नारेबाजी की। इनमें ज्यादातर महिलाएं थीं जिन्हें अपने नौनिहालों के भविष्य की चिंता खाये जा रही है। इनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि, छात्रों की घटती संख्या के चलते कई सरकारी विद्यालयों को बंद किया जा रहा है। ऐसे में शैक्षणिक सत्र के बीच में बच्चों की पढ़ाई बाधित की जा रही है। दरअसल, पौड़ी में छात्रों की लगातार घटती संख्या के चलते बंद हो रहे सरकारी विद्यालयों से ग्रामीणों और छात्र-छात्राओं के परिजनों में आक्रोश है। इसके विरोध में ननकोट गांव के ग्रामीणों और छात्र-छात्राओं के परिजनों ने शिक्षा विभाग के अपर महानिदेशक दफ्तर पहुंचकर जमकर हंगामा किया।

बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ क्यों?

ननकोट गांव के कई निवासी घर के नजदीक होने के कारण केंद्रीय विद्यालय से अपने बच्चों को हटाकर उनका दाखिला राजकीय जूनियर हाईस्कूल ननकोट में करा चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ननकोट गांव स्थित राजकीय जूनियर हाई स्कूल के दूसरे स्कूल में विलय होने से उनके आगे भी कई तरह की दिक्कतें पेश आयेंगी। ग्रामीणों ने स्कूल बंद करवाने के फैसले को नहीं बदलने पर अनशन की चेतावनी दी है।

37 स्कूलों को बिना सत्र पूर्ण हुए किया गया बंद

दरअसल उत्तराखंड का शिक्षा विभाग इस साल भी 37 विधालयों को छात्रों की घटती संख्या के चलते बंद करवा रहा है। जिसकी सूची शासन और शिक्षा निदेशालय को भेजी जा चुकी है। इस लिस्ट में पौड़ी के ननकोट गांव स्थित राजकीय जूनियर हाई स्कूल भी शामिल हैं। जबकि, आधा सत्र बीत चुका है। वहीं शिक्षा अधिकारी ने मामले को निदेशालय के संज्ञान में लाने के लिये पत्र भेजने का रटा-रटाया जवाब दिया।

गढ़वाल मंडल दफ्तर में हंगामा, अनशन की चेतावनी

उत्तराखंड में बारिश और भू-स्खलन से बच्चों की पढ़ाई वैसे ही बाधित हो गई है। ऊपर से आधा शैक्षणिक सत्र बीत जाने पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बिना सोचे समझे बड़ा फैसला ले लिया। ऐसे में ननकोट स्कूल बंद करने से बच्चों के भविष्य पर ही गाज गिराई गई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here