World Tuberculosis Day 24 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है? जानिए इसके पीछे का इतिहास

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World Tuberculosis Day
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World Tuberculosis Day: हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाता है। टीबी को हम तपेदिक, क्षय रोग तथा राजरोग के नाम से भी पहचाना जाता है। यह एक संक्रामक बीमारी है जो खासकर शरीर के फेफड़ों को प्रभावित करती है। इसके बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने तथा इसे जड़ से खत्म करने के लिए प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को टीबी दिवस मनाया जाता है।

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इस मौके पर प्रधान मंत्री ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि टीबी से संबंधित पहलुओं पर जागरूकता फैलाने और इसे खत्म करने के लिए 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर वह वाराणसी में ‘वन वर्ल्ड टीबी समिट’ में शामिल हुए। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत इस बीमारी को खत्म करने के लिए कई प्रयास कर रहा है।

इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी ट्वीट कर लिखा कि ‘ हम टीबी को खत्म कर सकते हैं’ विश्व टीबी दिवस के अवसर पर ‘वन वर्ल्ड टीबी समिट’में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा उत्तर प्रदेश के सीएम योगी भी मौजूद रहे। इस वर्ष विश्व टीबी दिवस की थीम ‘ हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं’ हैं। इसके पहले वर्ष 2022 में इसकी थीम टीबी को खत्म करने के लिए निवेश करें, जीवन बचाएं।

World Tuberculosis Day: जानें इसका इतिहास

टीबी माइको ट्यूबरक्युलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। जिसकी खाज एक जर्मन चिकित्सक और माइक्रोबायोलाजिस्ट डॉ राबर्ड कोच ने 24 मार्च 1884 में की थी। । इस बैक्टीरिया की जानकारी के बाद इसके निदान और इलाज में वैज्ञानिकों को काफी मदद मिला। उनकी इस खोज की वजह से यह इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरकुलोसिस एंड लंग डिजीज द्वारा 24 मार्च विश्व टीबी दिवस मनाने का फैसला किया गया। डब्लूएचओ के अनुसार टीबी दुनिया में सबसे घातक बीमारियों में से एक है। इसकी वजह से दुनिया भर में प्रत्येक दिन लगभग चार हजार लोगों की मुत्यु होती है।

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टीबी जैसी गंभीर बीमारी हमारे शरीर के हर अंग को प्रभावित करती है परन्तु सबसे ज्यादा यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है। जिसकी वजह से वह अंग या हिस्से समय के साथ खराब होने लगता है। कुछ दशकों पहले टीबी का इलाज संभव नहीं था लेकिन अब इस बीमारी का इलाज संभव है।

World Tuberculosis Day: वर्ष 2025 तक भारत होगा टीबी मुक्त!

भारत ने 2030 के वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) लक्ष्य से पांच साल पहले, 2025 तक तपेदिक उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध किया है। कई बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता को देखते हुए, यह एक अति महत्वाकांक्षी और महत्वपूर्ण उद्देश्य है। डब्ल्यूएचओ ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत में तपेदिक के अनुमानित 3 मिलियन नए मामले मिले थे और बीमारी की वजह से आधे मिलियन से भी अधिक मौतें हुई थीं।

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