2 अप्रैल को क्यों मनाया जाता है World Autism Awareness Day, जानें इससे जुड़े उद्देश्य और लक्षण

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World Autism Awareness Day
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World Autism Awareness Day: हर साल 2 अप्रैल को विश्वभर में ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है। यह एक न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति है जो सामाजिक संपर्क और संचार के लिए किसी व्यक्ति की दिमागी क्षमता को प्रभावित करती है। इस दिन बीमारी के बचाव और सुधार के लिए कई तरह के कदम उठाए जाते हैं। यह एक मानसिक बीमारी है। जिसकी वजह से बच्चे का दिमाग ठीक से कार्य नहीं कर पाता है।

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संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यह घोषणा की थी कि साल 2007 से हर वर्ष विश्व ऑटिज्म जागरुकता दिवस मनाया जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में 160 बच्चे ऐसे हैं जिन्हें ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) है। लड़कियों की तुलना में लड़कों में यह बीमारी होने की संभावना अधिक होती है।

ऑटिज्म से पीड़ित लोगों और उनके परिवारों के लिए जीवन की गुणवत्ता को शुरुआती पहचान और हस्तक्षेप से बढ़ाया जा सकता है। रविवार 2 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र इस अवसर को मनाने के लिए एक वैश्विक वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन किया।

World Autism Awareness Day: जानें इससे जुड़ा इतिहास

World Autism Awareness Day: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2 अप्रैल 2008 को पहली बार विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया था। इस दिन का उद्देश्य ऑटिज्म के बारे में समझ बढ़ाना तथा इससे पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करना और सहायता को बढ़ावा देना था। तब से लेकर अब तक सरकारी और गैर-सरकारी दोनों संगठनों के साथ-साथ दुनिया भर के लोगों ने सालाना इस दिन को मनाते आ रहे हैं। ऑटिज्म एक न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति जो दिमाग की सूचना को संसाधित करने की क्षमता को प्रभावित करती है। यह दुनिया भर में प्रचलित है और सभी उम्र, नस्लों और लिंग के व्यक्तियों को प्रभावित करता है।

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World Autism Awareness Day: बच्चों में ज्यादा देखने मिलती है यह समस्या

विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस का उद्देश्य ऑटिज्म के बारे में सार्वजनिक ज्ञान में सुधार करना और ऑटिज्म लोगों के खिलाफ कलंक और पूर्वाग्रह को कम करना है। ऐसा माना जाता है कि यह बीमारी प्रेग्नेंसी के समय अच्छा खान-पान ना करने के कारण होती है। जिसकी वजह से बच्चे का दिमाग ठीक से विकसित नहीं हो पाता और वह ऑटिज्म का शिकार हो जाता है।

इसके बीमारी की वजह से बच्चे जल्दी किसी भी चीज पर रिएक्ट नहीं कर पाते हैं। उन्हें पढ़ने और समझने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अक्सर बच्चे अपने में ही रहते हैं और सामन्य बच्चों से अलग रहते हैं। यदि बच्चा चीजों पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है और कुछ बोल नहीं रहा है तो उसे ऑटिज्म की समस्या हो सकती है।

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