Periods से पहले कुछ महिलाओं में ज्यादा Mood -Swings होता है, वे बात- बात में भावुक हो जाती हैं। छोटी छोटी बातों में गुस्सा करती हैं। कई औरतों में पीरियड्स (Periods) शुरू होने के एक-दो दिन पहले चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन (Depression) होने लगता है। कभी- कभी तो वह इतनी डिप्रेस्ड हो जाती है कि उन्हें आत्महत्या तक का ख्याल आने लगता है, जबकि कई महिलाएं ऐसे समय़ में अकेले रहना चाहती हैं।
महिलाओं की इस समस्या प्रीमेंसट्रूअल डिस्फॉरिक सिंड्रोम यानी (PMD) कहते हैं। आम तौर पर पीरियड्स में होने वाले दर्द और शारीरिक परेशानियों बारे में तो महिलाएं जानती हैं, लेकिन इस समय होने वाले मानसिक बदलावों से अनजान रहती हैं। कई महिलाओं को पीरियड्स से पहले पीएमडीडी की समस्या होती है। उनके व्यवहार में बदलाव आता है और वो सबसे दूरी बना लेती हैं। कई बार ये समस्या खतरनाक साबित हो सकती है। पीएमडीडी में हार्मोनल बदलाव आते हैं, जिनका दिमाग पर भी असर पड़ता है। आम तौर पर पीरियड्स के समय शरीर में हल्के-फुल्के परिवर्तन होते हैं, लेकिन पीएमडीडी में सामान्य से ज्यादा दिमाग के अंदर केमिकल घटते-बढ़ते हैं, जो असंतुलन भावनात्मक लक्षण पैदा कर देता है।
मनोचिकित्सक बताते हैं कि PMD के लक्षण पीरियड्स से दो-तीन दिन पहले दिखाई देने शुरू होते हैं। इसमें भावनात्मक और मानसिक लक्षण शारीरिक लक्षणों के साथ जुड़ जाते हैं। इस दौरान चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, तनाव, नींद न आना, गुस्सा जैसे लक्षण दिखते हैं। कुछ मामलों में महिलाओं को आत्महत्या के ख्याल भी आते हैं या वो गुस्से में दूसरों को नुकसान भी पहुंचा देती हैं। हालांकि ऐसा बहुत कम मामलों में होता है। जरूरी नहीं कि इस दौरान हर महिला पर एक जैसा ही प्रभाव हो। कुछ महिलाओं को पीरियड्स से पहले बहुत अकेलापन और चिड़चिड़ाहट होता है, जबकि कुछ औरतों में पीरियड्स से पहले बहुत उदासी और मायूसी होती है। उनमें आत्मविश्वास में कमी आ जाती है और कई बार वे खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं।
क्या है PMS
PMS में पीरियड्स को संतुलित करने वाले हार्मोन में असंतुलन आ जाता है। इससे ब्रेस्ट में दर्द, बुखार और उल्टी हो सकती है, लेकिन इसका भावनात्मक और मानसिक प्रभाव इतना नहीं होता कि उसका सामाजिक जीवन पर प्रभाव पड़ जाए। पीएमएस में कुछ विटामिन लेने से राहत मिलती है। पीएमएस के लक्षण पीरियड्स से 5-6 दिन पहले शुरू होते हैं और पीरियड्स के दौरान भी रहते हैं। इसके लक्षण पीरियड्स से दो-तीन दिन पहले दिखाई देने शुरू होते हैं। इसमें शारीरिक लक्षणों के साथ भावनात्मक और मानसिक लक्षण भी जुड़ जाते हैं।
क्या है PMD
PMD में इलाज कराना पड़ता है और काउंसलिंग की जरूरत पड़ती है। मूड स्विंग बहुत ज्यादा होते हैं। महिलाएं समाज से अलग-थलग महसूस करती हैं और काम पर भी इसका असर पड़ता है। अगर लक्षण बहुत ज्यादा है और डॉक्टर को न दिखाया जाए तो कोई महिला पूरी तरह डिप्रेशन में जा सकती है या खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। हालांकि, ऐसे मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं।
क्या है इलाज
पीएमडीडी में कुछ मामलों में दवाई लगातार देनी पड़ती है और कुछ में सिर्फ पीरियड्स के दौरान दी जाती है। इसमें परिवार और मरीज दोनों की काउंसलिंग जरूरी होता है। इसमें मरीज को नींद पूरी लेने, खाना समय से खाने की सलाह दी जाती है।
जानकारी की कमी
इसे लेकर महिलाओं में जागरूकता नहीं है, महिलाओं को अगर इस समस्या की जानकारी हो तो वो ऐसे समय में अपना ख्याल रख सकती हैं। डॉक्टर्स बताते हैं कि पीएमडीडी बॉयोलॉजिकल कारणों से होता है, ये कोई मानसिक रोग नहीं है और इसका इलाज संभव है। अगर लक्षण ज्यादा नहीं हैं तो अपना खास देखभाल करें।
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