ORGAN DONATION: कौन कर सकता है अंगदान, कैसी होती है इसकी प्रक्रिया?

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ORGAN DONATION: अंग दान जीवन के लिए अमूल्य उपहार है। अंग दान उन लोगों के लिए वरदान है जो ऑर्गन फेलियर की समस्या से जूझ रहे हैं और जिन्हें अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। जो व्यक्ति अंग दान कर रहा है वह जीवित या मृत हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में हर साल करीब 5 लाख लोग अंग प्रत्यारोपण (ऑर्गन ट्रांसप्लांट) का इंतजार करते हैं। देश में ट्रांसप्लांट कराने वालों की संख्या और जरूरी अंग उपलब्ध होने की संख्या, दोनों के बीच काफी बड़ा गैप है। इस लेख में आज हम आपको अंग दान और ऊतक दान(Tissue) की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देंगे।

शरीर के किन-किन अंगों को दान किया जा सकता है?

अंगदाता अपने अग्न्याशय, हृदय, फेफड़े, यकृत, गुर्दे से लेकर आंत जैसे अंगों को दान कर सकता है। जिन व्यक्तियों को ट्रांसप्लांट की जरूरत है उनके लिए दान किए गए ये सभी अंग उनके जीवन को बचाने और बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। प्रत्यारोपण के जरिए जिन अंगों को एक शरीर से दूसरे शरीर में सर्जन द्वारा लगाया जाता है उनमें- दोनों किडनी, यकृत (लीवर), ह्रदय, फेफड़े, आंत और अग्न्याशय शामिल होते हैं। वहीं, ऊतकों के रूप में हड्डियों,कॉर्निया, त्वचा, ह्रदय वाल्व कार्टिलेज और वेसेल्स का प्रत्यारोपण होता है।भारत में इस वेबसाईट पर जाकर आप ऑर्गन डोनेशन के लिए शपथ ले (अप्लाई) कर सकते हैं- https://notto.abdm.gov.in/

आप खुद अंगदान का चुनाव कर सकते हैं

प्रत्येक व्यक्ति यह चुनाव कर सकता है कि मृत्यु से पहले या बाद में वह अंगदाता बनना चाहता है या नहीं, और यदि कोई भी दान करने का इच्छुक है तो आप अपने कुछ या फिर सभी अंगों को दान करने का चुनाव कर सकते हैं। शरीर के किस हिस्से का अंगदान करना है इसका चुनाव अंगदाता स्वयं कर सकता है, इसके लिए उन्हें पंजीकरण करना होता है। जिसके बाद अंग दाता अपने कॉर्निया, हड्डी और यहां तक की अपने ऊतकों (Tissues) को भी दान करने का विकल्प भी चुन सकते हैं। एक व्यक्ति जो चाहे जीवित या फी मृत हो अंगदान कर सकता है। जीवित व्यक्ति के ऊपर अंगदान को लेकर कुछ सीमाएं हैं। जबकि, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद सभी व्यवहार्य (Viable) अंग और ऊतक (टिश्यू) दान किए जा सकते हैं।

जीवित व्यक्ति कौन-कौन से अंग दान कर सकता है?

भारत में अगर कोई व्यक्ति जीवित है तो उसके लिए अंगदान करने की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होना अनिवार्य है। इसके साथ ही ज्यादातर अंगों के प्रत्यारोपण का निर्णायक कारक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति होती है, ना कि उनकी उम्र। जानकारी के मुताबिक जीवित अंगदाता अपनी एक किडनी, अग्न्याशय, और यकृत के कुछ हिस्से दान कर सकता है।

हृदय वाल्व, हड्डी और त्वचा जैसे ऊतकों को प्राकृतिक मृत्यु के पश्चात् दान किया जा सकता है। लेकिन हृदय, यकृत, गुर्दे, फेफड़े और अग्न्याशय जैसे ऑर्गन्स को दिमागी रूप से मृत पाए जाने वाले मामले में दान किया जा सकता है।   

इसके अलावा, कार्डियक डेथ अर्थात प्राकृतिक रूप से मरने वाले मामले में का आमतौर पर कॉर्निया या कहें ‘नेत्र दान’ किया जाता है।

डोनेट किए गए अंगों और ऊतकों का संरक्षण समय क्या है?

चिकित्सा प्रौद्योगिकी में प्रगति और उच्च श्रेणी की संरक्षण तकनीकों के बदौलत आज अंगों, ऊतकों और कॉर्निया को जरूरतमंदों (जो लोग प्रत्यारोपण केंद्र की वेटिंग लिस्ट में हैं) तक प्रत्यारोपण के लिए ले भेजा जा सकता है। फ्रोडटर्ट और विस्कॉन्सिन मेडिकल कॉलेज (Froedtert & Medical College of Wisconsin) की वेबसाईट पर अंगों और ऊतकों का अनुमानित संरक्षण समय बताया गया है:

  • हृदय और फेफड़े – 4 से 6 घंटे
  • अग्न्याशय – 12 से 24 घंटे
  • लीवर – 6 से 8 घंटे
  • गुर्दे – 24 से 72 घंटे
  • कॉर्निया – 5 से 7 दिन
  • हृदय वाल्व, त्वचा, हड्डी, टेंडन और नसें – 3 से 5 वर्ष

अंगदान भारत में ही नहीं दुनियाभर में जरूरतमंदों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके बारे में समाज में धारणाओं और मिथकों को दूर करने से अंग दान करने वालों की कमी को दूर किया जा सकता है और प्रत्यारोपण के लिए डिमांड को पूरा करने में मदद मिल सकती है।