Down syndrome: डाउन सिंड्रोम एक प्रकार का आनुवंशिक विकार होता है, जोकि कोशिकाओं में एक अतिरिक्त क्रोमोजोम के जुड़ने से होता है। जिसे क्रोमोजोम 21 नाम से भी जाना जाता है।छोटे बच्चों में ये रोग जन्मजात होता है। डॉक्टर्स के अनुसार प्रत्येक क्रोमोजोम में सैकड़ों से हजारों जीन भरे होते हैं। ये जीन डीऑक्सीराइबोज न्यूक्लिक एसिड (डीएनए) से बने होते हैं। जीन में हमारे शरीर से जुड़ी ऐसी जानकारियां होती हैं जो प्रत्येक व्यक्ति की वृद्धि, विकास और विशिष्ट लक्षणों को निर्धारित करती हैं।
आमतौर पर प्रत्येक कोशिका में क्रोमोजोम के 23 जोड़े होते हैं। लेकिन डाउन सिंड्रोम जैसी जन्मजात स्थिति के साथ पैदा हुए बच्चे नें क्रोमोजोम 21 अतिरिक्त होता है, जो बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में विलंब का कारण बनता है।
डाउन सिंड्रोम एक ऐसी चिकित्सीय स्थिति है, जिसे रोका तो नहीं जा सकता है,लेकिन जन्म से पूर्व पता लगाया जा सकता है।आमतौर पर डाउन सिंड्रोम वाले लोगों में विशिष्ट शारीरिक विशेषताएं मिलती हैं। उनमें कुछ चिकित्सीय स्थितियों का जोखिम ज्यादा होता है। हालांकि, एक व्यक्ति, दूसरे पीड़ित व्यक्ति की तुलना में अलग-अलग कठिनाइयों का सामना करता है।डाउन सिंड्रोम से पीड़ित कुछ लोगों को अपने पूरे जीवन में मेडिकल सुविधाओं की जरूरत पड़ती है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो हेल्दी जीवन जीते हैं।
Down syndrome: डाउन सिंड्रोम के लक्षण
Down syndrome: डाउन सिंड्रोम के लक्षण आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं। हालांकि, इस रोग से पीड़ित व्यक्ति में आमतौर पर शारीरिक उपस्थिति लगभग-लगभग एक समान ही होती है।डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों के विकास में देरी के कारण उन्हें बैठने, खड़े होने और चलना जैसी चीजों को सीखने में अन्य बच्चों की तुलना में अधिक समय लगता है।
- आंखों का ऊपर उठा हुआ या फिर तिरछा हुआ दिखाई देना
- जीभ का ज्यादा उभार होना
- चेहरे का चपटा होना
- कान, मुंह या फिर सिर का छोटा होना
- पैदा होने के साथ ही छोटी गर्दन
- छोटी उंगलियां
- छोटे हाथ या पैर
- मांसपेशी की खराब बनावट
Down syndrome:डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को भविष्य में इस प्रकार की समस्याएं होती हैं
- बच्चों को कोई भी चीज सीखने में ज्यादा समय लगता है
- एकाग्रता की कमी
- बोलने में दिक्कत
- फैसला लेने में हिचकिचाहट
- हठ और जिद करना
- जल्दी गुस्सा आ जाना
- नींद न आने की समस्या
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