CPR Tips : पिछले कुछ वर्षों के दौरान विश्वभर में, हार्ट की बीमारियों में काफी वृद्धि देखि गई है, खासतौर पर हार्ट अटैक (Heart Attack) के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं। कई कम आयु वाले लोग, जिनकी उम्र 40 से कम थी उनकी मौत हार्ट अटैक के कारण हुई है, जिसमें सिनेमा और टीवी जगत के नामीग्रामी चेहरे भी शामिल हैं। डॉक्टरों की माने तो हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामलों में बढ़त के लिए रोजमर्रा की लाइफस्टाइल और खाने में असंतुलन को मुख्य कारण माना जाता रहा है। सोशल मीडिया पर भी आए दिन हार्ट अटैक के मामले नजर आते रहते हैं, जैसे हाल ही में रेस्टोरेंट में खाना खाने गए एक व्यक्ती की टेबल पर बैठे-बैठे ही हार्ट अटैक से मौत हुई। यह वीडियो जितना डराने वाला था, उतना ही लोगों के लिए एक वार्निंग के समान भी कहा जा सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में हार्ट अटैक के शिकार करीब 28 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है। हालांकि, समय रहते कुछ सावधानियां और उपायों की जानकारी से, जिस व्यक्ति को अटैक आया है उसकी जान बचाई जा सकती है। कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) को हार्ट अटैक के दौरान जान बचाने वाली प्रक्रिया माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक के बाद समय रहते सीपीआर दिया जाए तो व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है, जिससे मौत के खतरे को टाला जा सकता है।
हार्ट अटैक की स्थिति में सीपीआर के क्या लाभ हो सकते हैं?
कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) हार्ट अटैक के मामलों में जीवनरक्षक तकनीक साबित हो सकती है। अगर किसी व्यक्ति की सांस या दिल की धड़कन रुक जाने पर उसे वक्त रहते सीपीआर मिल जाता है तो रोगी की जान बचाई जा सकती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के एक्स्पर्ट्स के अनुसार, हार्ट अटैक की स्थिति नजर आने पर व्यक्ति की चेस्ट को सही तरीके और गति से प्रेस करके सीपीआर देने से हार्ट और शरीर में ब्लड फ्लो नॉर्मल करने में मदद मिल सकती है।
CPR Tips : क्या है सीपीआर की प्रक्रिया?
हार्ट अटैक की स्थिति में सीपीआर, खून को ठीक से शरीर के सभी अंगों में पहुचाने में मददगार हो सकता है। इस प्रक्रिया में चेस्ट एरिया को 100-120/मिनट की दर से दबाया जाता है। जिसमें दोनों हाथों को छाती पर ऐसे जोड़ कर रखा जाता है, जिससे हथेली का निचला हिस्सा रोगी के चेस्ट पर आए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार अगर इससे असर न दिखाई दे तो छाती पर दबाव के साथ-साथ तुरंत कृत्रिम सांस भी दी जानी चाहिए। सीपीआर की इस तकनीक में 30 बार छाती पर दबाव बनाया जाता है और दो बार कृत्रिम सांस दी जाती है। बता दें, छाती पर दबाव और कृत्रिम सांस देने का अनुपात 30:02 का होना चाहिए। वहीं, कृत्रिम सांस देते समय रोगी की नाक उंगलियों की मदद से दबाकर उसके मुंह से सांस भरी जाती है। ऐसा इसलिए जरूरी बताया गया क्योंकि बचाव करने वाले व्यक्ति द्वारा मुंह से दी गयी सांस रोगी के फेफड़ों तक अच्छे से पहुंच पाती है। इसे माउथ टु माउथ रेस्पिरेशन कहा जाता है।
हालांकि, सीपीआर की तकनीक परिस्थितियों के हिसाब से अलग अलग ढंग से इस्तेमाल की जाति है, जिनमें कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है। सीपीआर को हार्ट अटैक जैसी स्थितियों में प्रथम उपचार माना जाता है, इसलिए जितना जल्दी हो सके उतनी जल्द ही इसे रोगी को दिया जाना चाहिए। व्यक्ति की उम्र भी सीपीआर देने के दौरान मायने रखती है, जैसे यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि रोगी बच्चा है, नौजवान है या फिर वृद्ध है, इसके बेस पर सीपीआर के तरीके में थोड़ा बहुत बदलाव होता है।
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया। यह लेख सामान्य जानकारियों की मदद से लिखा गया है। आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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