Water Conservation: जल है तो कल है मुहिम के जरिये दिल्ली सरकार लगातार लोगों को पानी बचाने का संदेश दे रही है। इसके साथ ही जल्द ही दिल्लीवासियों को आरओ पानी की सप्लाई भी शुरू होने वाली है। दिल्ली जल बोर्ड की ओर से इस बाबत रोहिणी और ओखला क्षेत्र में 20 एमजीडी क्षमता वाले आरओे प्लांट लगाया जाएगा।दरअसल दिल्ली में हर घर नल से पीने का पानी पहुंचाने की योजना के तहत अब दिल्ली सरकार RO प्लांट यानी रिवर्स ऑस्मोसिस संयंत्र लगाने की योजना बना रही है।
इस योजना को दिल्ली के उन इलाकों में लागू किया जाएगा, जहां ग्राउंड वाटर का स्तर ज्यादा है, लेकिन खारेपन और टीडीएस (टोटल डिजॉल्वड सॉलिड) के कारण इस्तेमाल करने लायक नहीं है।
दिल्ली सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक साधारण आरओ सिस्टम में प्यूरिफिकेशन की प्रक्रिया के दौरान बहुत सारा पानी बर्बाद हो जाता है लेकिन दिल्ली सरकार आधुनिक तकनीक से बने आरओ प्लांट का उपयोग करेगी, जिसकी जल रिकवरी दर 80 फीसदी होगी। दिल्ली सरकार ने इस योजना को जल्द से जल्द पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
Water Conservation: भूजल स्तर अधिक लेकिन क्वालिटी खराब वहां लगेंगे आरओ प्लांट
Water Conservation: दिल्ली सरकार के अनुसार इन आरओ प्लांट्स को केवल उन इलाकों में बनाया जाएगा, जहां भूमिगत जल का स्तर अधिक है, लेकिन पानी की खराब गुणवत्ता के कारण उसे इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता। जैसे दिल्ली के नजफगढ़ में पानी 2-3 मीटर की गहराई पर ही उपलब्ध है लेकिन खारेपन की वजह से इस पानी का उपयोग नहीं किया जा सकता। इस परियोजना के पहले चरण में रोहिणी, ओखला, द्वारका, नीलोठी-नांगलोई, चिल्ला और नजफगढ़ इलाकों को चिन्हित किया गया है।
Water Conservation: 22 लाख मिलियन गैलन लीटर से ज्यादा पानी खारा
Water Conservation: केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के भूजल में 22 लाख मिलियन गैलन लीटर से ज्यादा खारा पानी है। इसे पीने योग्य बनाने के लिए इसे आरओ से ट्रीट करने की जरूरत है। जिसके बाद ही इसे घरों तक पहुंचाया जा सकेगा। परियोजना को लागत प्रभावी बनाने के लिए दिल्ली सरकार एक नए मॉडल को अपनाएगी, जहां निजी निवेशक आरओ प्लांट की स्थापना में निवेश करेंगे और दिल्ली जल बोर्ड उनसे निर्धारित दर पर आरओ द्वारा साफ किया गया पानी खरीदेगा। डीजेबी के अधिकारियों द्वारा किए गए शुरुआती रिसर्च के मुताबिक इस परियोजना में लगने वाली लागत पारंपरिक आरओ से पानी को साफ करने की लागत के बराबर ही होगी। इस प्रक्रिया के दौरान निकले हुए कचरे को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से निस्तारित किया जाएगा।
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