Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी शुरू होने में महज 1 दिन शेष है।गणपति बप्पा के स्वागत, पूजा और पंडाल बनकर लगभग तैयार हैं। गणेशोत्सव की धूम के साथ पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान दिया जा रहा है। बप्पा का सुंदर स्वरूप देने में जुटे कलाकार आस्था के साथ ही पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान दे रहे हैं। यही वजह है कि भगवान गणेश जी की इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाई जा रही हैं, ताकि पूजा के बाद विसर्जन करने पर इससे नदियां प्रदूषित न हों। मूर्तिकारों के पास मूर्तियों के पास ऑर्डर आने लगे हैं। पर्यावरण को बचाने के लिए ये मूर्तिकार पिछले 3 वर्षों से लगातार इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाते आ रहे हैं।
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Ganesh Chaturthi 2022: इको फ्रेंडली मूर्ति के फायदे
पर्यावरण को बचाने के लिए पिछले कुछ वर्षों से इको फ्रेंडली मूर्तियों का चलन है। क्योंकि ये मूर्तियां कम समय में पानी में घुल जाती हैं। मिटटी से निर्मित मूर्तियां पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती। इसके साथ ही जल एवं थल प्रदूषण को भी रोकतीं हैं।यही वजह है कि पिछले कुछ समय से इसकी मांग तेजी के साथ बढ़ी है। वहीं दूसरी तरफ कई जगह पर घास तो कहीं फूलों से गणपति बप्पा को नया स्वरूप देने का प्रयास किया जा रहा है।
Ganesh Chaturthi 2022:पीओपी से बनी मूर्तियों पर प्रतिबंध
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गणेशोत्सव को लेकर प्रशासन की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए गणपति की मूर्ति को तय की गई जगहों पर ही विसर्जित किया जाएगा। राजधानी और एनसीआर में कई जगहों पर प्रदूषण रोकने के लिए पीओपी से बनी भगवान गणेश की मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
जल प्रदूषण को रोकने के लिए यह अहम कदम उठाया गया है। दरअसल पानी में विसर्जन की वजह से बड़ी मात्रा में जल प्रदूषण होता है। केमिकल से बने रंगों और पेंट में बहुत तरह की खतरनाक धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है। जब केमिकल से बनी मूर्तियों को पानी में विसर्जित किया जाता है, तो ये पदार्थ पानी में घुल जाते हैं और पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं क्योंकि जब केमिकल पानी में घुलते हैं तो पानी को जहरीला बनाते हैं, जिससे पानी में रहने वाले जीव मर जाते हैं।
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