Environment News: पहाड़ों से निकलकर मैदानी इलाकों में फैली गंगा और उसकी सहायक नदियों के अस्तित्व से लेकर इनके पास बसे इलाकों में बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। यह खुलासा सेंटर फॉर गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज यानी सी-गंगा की सर्वे रिपोर्ट में हुआ है।
वैज्ञानिकों के अनुसार 12 जुलाई को ही रिपोर्ट जलशक्ति मंत्रालय को सौंपी गई है।सर्वे में इस बात का जिक्र है कि उत्तराखंड, यूपी, बिहार और झारखंड की छोटी, बड़ी करीब 65 नदियों की हालत खराब है। लगातार गाद भरने से इन नदियों के आसपास बसे इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।

Environment News: बिहार में स्थिति बेहद खराब
वैज्ञानिकों के अनुसार बिहार की हालत बेहद खराब है। यहां गंगा समेत 29 नदियां गाद से उथली हो गईं हैं। इसकी वजह से नए इलाकों में लगातार कटाव हो रहा है। उत्तराखंड से यहां आने वाली 3 नदियों का वेग कम हो गया है। नदियों में टापू बन गए हैं। वहीं झारखंड के साहिबगंज से गंगा करीब 5 किलोमीटर दूर चली गई है। ऐसे में जब तक सहायक नदी गादमुक्त नहीं होगी, गंगा जैसी नदी स्वस्थ्य नहीं हो सकती है। राजधानी पटना में ही गंगा शहर से करीब 4 किलोमीटर दूर चली गई है। सिर्फ पटना-भोजपुर के बीच ही 28 करोड़ सीएफटी के करीब गाद एकत्रित है। जबकि गंगा किनारे के 15 जिलों में लगातार बाढ़ का खतरा बना हुआ है। गंगा को बक्सर से 102 किलोमीटर दूर पटना के गांधी घाट आने में 4 घंटे लगते हैं।

Environment News: यूपी में नदियों पर संकट बरकरार
उत्तर प्रदेश की लगभग हर बड़ी नदी गाद से भर रही है। कानपुर में बिठूर, उन्नाव के बक्सर में गंगा बारिश के बाद घाटों से दूर हो जाती है। वाराणसी, मिर्जापुर और बलिया में ये टापू बन जाती है। आलम ये है कि बनारस के पक्के घाट अब अंदर मिटटी खिसकने से दरकने लगे हैं। बिजनौर के गंगा बैराज पर गाद की करीब 8 मीटर मोटी परत बन गई है। यहां के 12 गांव बाढ़ की जद में हैं। वहीं आगरा और मथुरा में यमुना गाद से लबालब है।पूर्वांचल में घाघरा, कर्मनाशा, चंद्रपभा और वरुणा नदियां गाद से भर चुकीं हैं।
Environment News: उत्तराखंड में भी हालात खराब
पर्वतीय इलाकों में नदी का वेग तेज होने से गाद का समस्या नहीं, लेकिन यहां के मैदानी इलाकों में ये बड़ी दिक्कत बन गई है। हल्द्वानी में गौला नदी गाद की समस्या से जूझ रही है।ऊधम सिंह नगर में रुद्रपुर की कल्याणी और किच्छा की गौला नदी का बहाव अवरूद्ध हो जाता है। हालांकि राज्य में गाद की सफाई के लिए ड्रेजिंग ग्रेजिंग की नीति लागू है।
Environment News: यहां जानिए कितने नदियों में गाद की समस्या ?
बिहार | गंगा, कोसी, बागमती, महानंदा, गंडक, कमला-बलान, ललबकिया, झाझा, परमान, सुरसर नदी। |
झारखंड | गंगा |
उत्तर प्रदेश | गंगा, मंदाकिनी, काली पूर्वी, श्याम, बेहता, भैंसी, कल्याणी, सरयू, सई, कोचमलंगा। |
उत्तराखंड | गंगा, रौ, गौला और कल्याणी। |
Environment News: नदियों में जम रही गाद के नुकसान
- हर साल बाढ़ में बढ़ोतरी, मिटटी का कटाव
- नदियों के धारा बदलने से नए इलाके में पानी में डूब रहे
- तटबंधों पर खतरा बढ़ा
- पानी की गुणवत्ता पर असर
- पारिस्थितिक तंत्र पर असर
- छोटी नदियां सूखने की कगार पर
Environment News: बचाव के सुझाव
- नदियों में गाद को रोकने के लिए सरकार की ओर से गठित चितले समिति ने कुछ सुझाव दिए थे, जो इस प्रकार हैं।
- नदी के पानी की फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिले
- गाद को बहने का रास्त देना ही बेहतर उपाय
- तटबंधों और नदी के बहाव क्षेत्र से अतिक्रमण हटाया जाए
- अत्यधिक गाद लाने वाली नदियों के संगम क्षेत्र में गाद निकालना जरूरी
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