E-Waste से निपटने के लिए पिथौरागढ़ प्रशासन की पहल, जानिए ऐप के जरिए कैसा उठा सकेंगे फायदा ?

E-Waste: जानकारी के अनुसार भारत, चीन और अमेरिका के बाद उन देशों में शामिल है जहां ई-वेस्ट सबसे अधिक है।एक अनुमान के अनुसार हर साल देश में 32 लाख टन ई-वेस्ट निकलता है, लेकिन हैरानी इस बात है कि मात्र 15 फीसदी ही ई-वेस्ट का निस्तारण हो पाता है।

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E-Waste: ई-वेस्ट से निपटने के लिए पिथौरागढ़ प्रशासन की पहल, जानिए ऐप के जरिए कैसा उठा सकेंगे फायदा ?तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण के दौर में ई-वेस्‍ट एक नई चुनौती बन गया है। देश में लगातार बढ़ता ई-वेस्ट बड़ी समस्या बन चुका है। ई-वेस्ट की समस्या अब पहाड़ों में बड़ी ही तेजी के साथ बढ़ रही है।इसे ध्‍यान में रखते हुए उत्तराखंड के पिथौरागढ़ प्रशासन ने ई-वेस्‍ट से निपटने के लिए एक अलग पहल की है। इससे बाद ई-वेस्ट से तो मुक्ति मिलेगी ही, साथ ही ई-वेस्ट बेचने वालों को फायदा भी होगा।
जानकारी के अनुसार भारत, चीन और अमेरिका के बाद उन देशों में शामिल है जहां ई-वेस्ट सबसे अधिक है।एक अनुमान के अनुसार हर साल देश में 32 लाख टन ई-वेस्ट निकलता है, लेकिन हैरानी इस बात है कि मात्र 15 फीसदी ही ई-वेस्ट का निस्तारण हो पाता है। ऐसे में पिथौरागढ़ प्रशासन ने ई-वेस्ट को यूज करने के लिए एक ऐप तैयार किया है। इसकी मदद से खरीदार और बेचने वालों को सीधे जोड़ा जाएगा।

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E-Waste: एनआईसी ने किया तैयार

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E-Waste: ई-वेस्ट ऐप एनआईसी ने तैयार किया है। ई-वेस्ट के यूज के लिए बने ऐप में बेचने वाला अपने ई-वेस्ट की कीमत तय कर सकता है। इसके साथ ही सीधे खरीदार से मोलभाव भी करने की सुविधा है।

आमतौर पर ये देखा जाता है कि ई-वेस्ट को लोग या तो घरों में रख लेते हैं या फिर फेंक देते हैं।जिससे उन्हें कोई फायदा नहीं होता है,लेकिन ऐप की मदद से ई-वेस्ट बेचने वालों को कीमत भी मिल सकेगी।

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