स्मिता पाटिल, जैसा नाम वैसी पहचान। स्मिता यानि मुस्कान। अपने व्यक्तित्व और अभिनय से करोड़ों दिलों को मुस्कान दिलाने वाली स्मिता पाटिल को आज भी लोग उनके सांवले चेहरे, शानदार कद-काठी और जोरदार अभिनय के लिए याद करते हैं। उन्होंने सामाजिक तानेबाने से लेकर कमर्शियल फिल्मों तक, हर तरह की फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया। एक तरफ जहां उन्होंने कद्दावर अभिनेता नसरुद्दीन शाह के साथ जमाने की रुसवाई, बेरुखी और हकीकत को दर्शाने वाली फिल्में कीं तो वहीं अमिताभ बच्चन के साथ भीगी बारिश में रोमेंटिक फिल्में भी कीं। आज भी जब कोई उनको याद करता है तो एक सांवली, खूबसूरत और गंभीर लड़की का चेहरा आंखों के सामने आ जाता है जिसका दिल खुद पर हंसता है या जमाने पर, पता नहीं चलता।
17 अक्टूबर 1955 को स्मिता का जन्म पुणे में हुआ। स्मिता के पिता शिवाजी राय पाटिल महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे, जबकि उनकी मां एक समाज सेविका थीं। उनका नाम स्मिता रखे जाने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। जन्म के वक्त उनके चेहरे पर मौजूद मुस्कराहट देख उनकी मां विद्या ताई पाटिल ने उनका नाम स्मिता रख दिया। यह मुस्कान आगे चलकर उनके व्यक्तित्व का सबसे आकर्षक पहलू बन गई। स्मिता पाटिल अपने गंभीर अभिनय के लिए जानी जाती हैं।
अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों के बीच अलग पहचान बनाने वाली स्मिता ने महज 31 साल की उम्र में 13 दिसंबर 1986 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। 16 साल की उम्र में स्मिता न्यूज रीडर की नौकरी करने लगी थीं। इसी दौरान उनकी मुलाकात निर्देशक श्याम बेनेगल से हुई और बेनेगल ने उन्हें अपनी फिल्म ‘चरण दास चोर’ में एक छोटी सी भूमिका निभाने का मौका दिया। स्मिता ने 60 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। उन्हें फिल्म ‘चक्र’ के लिए सर्वश्रेष्ठ एक्ट्रेस के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
अपने अभिनय के जरिये दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ने वाली स्मिता के हिस्से ‘भूमिका’, ‘मंथन’, ‘मिर्च मसाला’, ‘अर्थ’, ‘मंडी’ और ‘निशांत’ जैसी समानांतर फिल्में हैं तो दूसरी तरफ ‘नमक हलाल’ और ‘शक्ति’ जैसी लोकप्रिय फिल्में भी हैं। उन्होंने व्यावसायिक सिनेमा और समानांतर सिनेमा में एक सामंजस्य बनाने की कोशिश की। ‘बाजार’, ‘अर्धसत्य’, ‘दर्द का रिश्ता’, ‘कसम पैदा करने वाले की’, ‘आखिर क्यों’, ‘गुलामी’, ‘अमृत’, ‘नजराना’ और ‘डांस डांस’ जैसी अलग-अलग किस्म की फिल्में उनकी इसी कोशिश का नतीजा हैं जिनमें स्मिता पाटिल के अभिनय के विविध रूप दर्शकों को दिखे।
1985 में भारतीय सिनेमा में उनके अमूल्य योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उन्होंने फिल्म ‘आज की आवाज’ में अभिनेता राज बब्बर के साथ काम किया जिस दौरान दोनों के बीच प्रेम शुरू हो गया और 1986 में उन्होंने शादी कर ली।
बेटे प्रतीक बब्बर को जन्म देने के कुछ वक्त बाद हुए इन्फेक्शन की वजह से स्मिता की मृत्यु हो गई। स्मिता पाटिल के मौत के बाद उनकी 14 फिल्में रिलीज हुईं, ‘गलियों का बादशाह’ उनकी आखिरी फिल्म थी।