Supreme Court: उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले, सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत ने चुनाव प्रचार के दौरान मुफ्त में चीजें बांटने के लिए राजनीतिक दलों को आड़े हाथों लिया है और इसे ‘गंभीर मुद्दा’ बताया है। शीर्ष अदालत ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर चुनाव चिन्हों को जब्त करने और जनता के खर्च पर तर्कहीन मुफ्त में चीजें बांटने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का निर्देश देने की मांग की है।
Supreme Court ने क्या कहा?
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना ने कहा कि अदालत ने चुनाव आयोग से उसी के संबंध में दिशानिर्देश तैयार करने का आग्रह किया था, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है। यह एक गंभीर मसला है। फ्रीबीज का बजट वास्तविक बजट से आगे जाता है। यह चुनाव को प्रभावित करता है। बता दें कि शीर्ष अदालत 4 सप्ताह में मामले की सुनवाई कर सकती है।
बता दें कि राजनीतिक पार्टियों द्वारा चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार बांटने और गैरवाजिब वायदा करने वाली पार्टियों की मान्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है।
कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग से पूछा कि चुनावी से पहले मतदाताओं से किए गए मुफ्त उपहारों के वादे को पूरा करने के लिए भी क्या विचार करते हैं? हालांकि कोर्ट ने याचिकककर्ता अश्विनी उपाधयाय से पूछा कि जब तमाम राजनैतिक दल वादे कर रहे हैं, आपने सभी पार्टियों की जगह सिर्फ दो ही पार्टी का जिक्र क्यों किया?
इस मामले पर याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया सरकारी फंड से मुफ्त उपहार बांटने का वायदा स्वतंत्र,निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करता है। इसलिए इसे अपराध घोषित किया जाना चाहिए।
वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में एक विकल्प के रूप में केंद्र को इस संबंध में एक कानून बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है।
संबंधित खबरें…