यूरोपीय संघ के सदस्य पिछले सप्ताह 8 अक्टूबर 2021 में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) द्वारा तैयार किये गए वैश्विक कर समझौते के दूसरे पिलर के तहत बड़े व्यवसायों (Big Businesses) पर न्यूनतम 15 फीसदी Global Minimum Tax लागू करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गए हैं। इसमे भारत भी शामिल है।
इससे पहले 2021 में दुनिया के 137 देशों ने टैक्स सिस्टम में सुधार करने और बड़ी बहुराष्ट्रीय उद्यमों (Multi National Enterprises – MNEs) पर 15 फीसदी की न्यूनतम कर दर लागू करने की योजना पर सहमति जताई थी। OECD की एक रिपोर्ट के अनुसार यह अनुमान लगाया गया है कि न्यूनतम कर की दर से हर सालॉ वैश्विक कर राजस्व में 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी होगी।
क्या है वैश्विक न्यूनतम कर (Global Minimum Tax)
वैश्विक न्यूनतम कर (Global Minimum Tax) दुनिया भर में बड़ी कंपनियों द्वारा की जाने वाली कमाई के आधार को परिभाषित करने के लिये मानक न्यूनतम कर दर को लागू करता है। OECD ने बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के होने वाले विदेशी मुनाफे पर 15 फीसदी कॉर्पोरेट न्यूनतम कर का प्रस्ताव दिया है। वैश्विक न्यूनतम कर व्यवस्था को लागू करने से देशों को लगभग 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नयी आय होगी।
इसके अलावा इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दुनिया के कई देशों में धंधे करने वाले बड़े व्यवसायों को टैक्स बचाने के लिये टैक्स चोरी के चलते हो रहे लाभ की प्राप्ति न हो।
क्या है Global Minimum Tax उद्देश्य?
वैश्विक न्यूनतम कर का उद्देश्य कम टैक्स दरों के जरिये देशों के बीच होने वाली टैक्स प्रतिस्पर्द्धा को रोकना है, अभी हरेक देश टैक्स को कम कर अपने देश में निवेश लाना चाहते हैं। टैक्सों में अंतर होने के कारण कॉर्पोरेट लाभ में बदलाव और टैक्स का नुकसान होता है।
क्या है OECD की योजना के दो स्तंभ?
8 अक्टूबर 2021 को अपनाई गई OECD की कार्ययोजना के पहले पिलर के अनुसार बड़े और लाभदायक बहुराष्ट्रीय उद्यम (Multinational enterprises – MNEs) के लाभ का 25 फीसदी एक निर्धारित लाभ मार्जिन बाजार के अधिकार क्षेत्र में फिर से आवंटित किया जाएगा जहां MNEs के उपयोगकर्ता और ग्राहक की मौजूदगी है।
OECD द्वारा इसी योजना में दोहरे कराधान (Double Taxation) के किसी भी प्रकार के जोखिम को दूर करने के लिये विवाद का निपटान और विवाद के समाधान को सुनिश्चित करने की विशेषताएं भी शामिल हैं। वहीं इस नीति में ऐसे देशों के लिये एक वैकल्पिक तंत्र (Alternative System) को भी शामिल किया गया जिनकी क्षमता कम है।
दूसरा स्तंभ (Pillar No. 2)
OECD का दूसरा पिलर कॉर्पोरेट लाभ पर कम से कम 15 फीसदी टैक्स प्रदान करता है और टैक्स को लेकर होने वाली प्रतिस्पर्द्धा को कम करने का प्रयास करता है। इस पिलर के अनुसार ये योजना 750 मिलियन यूरो (6,500 करोड़ रुपए) से अधिक वार्षिक वैश्विक राजस्व वाले बहुराष्ट्रीय समूहों पर लागू होगी। इसके अलावा देशों की सरकारें अपने अधिकार क्षेत्र में मुख्यालय (Headquarter) वाले MNEs के विदेशी मुनाफे पर कम-से-कम सहमत न्यूनतम दर (Accepted Minimum Rate) पर अतिरिक्त कर लागू कर सकेंगी। आसान भाषा मे समझा जाया तो इसका अर्थ ये हुआ अगर कोई कंपनी अपनी कमाई पर टैक्स नहीं देती है या फिर लगता है कि कंपनी ने कम टैक्स देने वाले देश में टैक्स दिया है तो उनका देश टॉप-अप टैक्स के रुप में एक टैक्स लगाएगा जिससे कुल प्रभावी दर 15 फीसदी हो जाएगी।
इससे क्या बदलेगा?
विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम “रेस टू द बॉटम” (Race To The Bottom) को खत्म करने की कोशिश करेगा है जिसने दुनियाभर की सरकारों को उनके लगातार बढ़ते खर्च को पूरा करने के लिए जरूरी बजट के लिये आय करना अधिक मुशकिल बना दिया है। रेस टू द बॉटम का तात्पर्य एक ऐसी स्थिति से है जहां एक कंपनी, राज्य या राष्ट्र द्वारा एक दूसरे होड़ के चलते बढ़त बनाने या विनिर्माण लागत में कमी के लिये गुणवत्ता मानकों पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
इस बात को लेकर दुनियाभर के देशों के सामने कोरोना महामारी के बाद से पैदा हो रही बजट की कमी की समस्या को देखते हुए कई सरकारों का मानना है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने मुनाफे और टैक्स वाली आय को कम टैक्स वाले देशों में शिफ्ट करने पर रोक लगनी चाहिये, भले ही उन्होंने व्यापार कहीं भी किया हो।
कुछ फायदे तो कुछ समस्याएं भी
Minimum Tax का प्रस्ताव एक ऐसे समय में आया है जब दुनियाभर में सरकारों के पास धन को एकत्रित करने के सिमित होते संसाधनो के चलते राजकोषीय स्थिति खराब हो गई है। कई लोगों का मानना है कि यह योजना बढ़ती हुई वैश्विक असमानता से भी मुकाबला करने में भी मदद मिलेगी।
कुछ फायदों के साथ इस योजना के कई नुकसान भी हैं जिसमें सबसे बड़े ये है कि यह किसी देश के संप्रभु अधिकार जिसमें वो अपनी टैक्स नीति को तय कर सकता का का उल्लंघन करता है। इसके अलावा वैश्विक न्यूनतम दर कई देशों द्वारा अपने क्षेत्र में निवेश करने के लिए लुभावनी योजनाओं को सहारा लेते हैं।
कई समहों द्वारा इस समझौते की आलोचना भी की जा रही है। आलोचना करने वाले समूहों का कहना है कि यह समझौता टैक्स हेवन को समाप्त नहीं करेगा।
क्या है OECD?
1961 में स्थापित किया गया आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) एक अंतर-सरकारी आर्थिक संगठन है, जिसकी स्थापना आर्थिक प्रगति और विश्व व्यापार को बढ़ाने के लिये की गई है। वर्तमान में इसके 36 सदस्य हैं। भारत इसका सदस्य नहीं है, लेकिन एक प्रमुख आर्थिक भागीदार है। इसका मुख्याल पेरिस, फ्रांस में हैं।
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