EPS Pension Scheme: भारत में भविष्य निधि संगठन (EPF) की स्थापना कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम 1952 (EPF&MP Act) के तहत की गई है। इस ऐक्ट के तहत सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट के बाद उनके जीवनकाल या मृत्यु की स्थिति में उनके आश्रितों के लिए उनके ही बचत से सहायता देने का प्रावधान बनाया गया है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन मुख्य रूप से तीन योजनाओं का संचालन करता है। इसमें कर्मचारी भविष्य निधि योजना-1952, कर्मचारी जमा लिंक बीम योजना-1976 और कर्मचारी पेंशन योजना-1995 प्रमुख है।
आज हम बात कर रहे हैं कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) की। इसे 16 नवंबर 1995 को शुरू किया गया था। इस योजना में सरकारी या निजी संगठन के सभी कर्मचारियों को शामिल किया गया है, जिन्हें इस योजना का लाभ मिलता है।
EPS Pension Scheme पूरी तरह से कर्मचारी पेंशन योजना है, जिसमें नियोक्ता के पीएफ के 12 फीसदी हिस्से का 8.33 फीसदी जमा होता है। इसके साथ ही सरकार भी EPS Pension Scheme के सदस्यों के वेतन का 1.16 फीसदी की दर से अंशदान करती है और अंशदान को कर्मचारी पेंशन फंड में 15 दिनों में जमा करती है।
EPS Pension Scheme के साथ सरकार की एक शर्त भी जुड़ी हुई है कि अगर किसी की बेसिक सैलरी प्लस डीए महीने में 15,000 रुपये से ज्यादा है तो वह ईपीएस योजना का लाभ नहीं उठा सकता है। यह योजना संगठित क्षेत्र में काम कर चुके उन कर्मचारियों के लिए है, जो 58 साल की उम्र में रिटायर्मेंट लेते हैं। जब आप किसी कंपनी/ संस्थान में नौकरी करना शुरू करते हैं तो PF अकाउंट के साथ आपका EPS Pension Scheme अकाउंट भी खोल दिया जाता है।
EPS Pension Scheme का लाभ पाने के लिए यह शर्तें हैं
- वह EPFO का सदस्य होना चाहिए
- उसने 10 वर्ष का सेवा कार्य-काल पूरा कर लिया हो
- वह 58 साल का हो
- 50 वर्ष की आयु होने पर आप पेंशन लेना शुरू कर सकते हैं, लेकिन वो कम होगी
- कर्मचारी दो साल (60 साल की उम्र तक) के लिए अपनी पेंशन को स्थगित कर सकता है, जिसके बाद उसे हर साल 4% की अतिरिक्त दर से पेंशन मिलेगी
पेंशन पाने योग्य वेतन की गणना कैसे की जाती है
यदि रोज़गार के अंतिम 12 महीनों में कुछ दिनों तक आपने EPS Pension Scheme अकाउंट में योगदान नहीं किया है, तो भी उन दिनों का लाभ कर्मचारी को दिया जाएगा। मान लीजिए कि व्यक्ति महीने की 3 तारीख से नौकरी शुरू करता है तो उसे महीने के अंत में 28 दिनों का ही वेतन मिलेगा लेकिन EPS में उसका योगदान 30 दिनों के हिसाब से ही जाएगा।
अगर व्यक्ति का मासिक वेतन 15,000 रुपए है, तो 28 दिनों के लिए उस व्यक्ति का वेतन 14,000 रुपए होगा (दो दिनों के लिए प्रति दिन के हिसाब से 500 रुपए कम)। हालांकि EPS Pension Scheme के लिए माना जाने वाला मासिक वेतन 30 दिनों के लिए, यानी कि 15,000 रुपए है। अधिकतम पेंशन योग्य वेतन हर महीने 15,000 रुपए तक सीमित है। चूंकि हर महीने नियोक्ता/ कंपनी/ कंपनी कर्मचारी के EPS खाते में उसके वेतन का 8.33% का योगदान देता है तो हर महीने कर्मचारी के EPS Pension खाते में जमा राशि है।
₹15000 x 8.33/100 = ₹1250
7500 रुपए तक मिलती है पेंशन
मौजूदा नियमों के मुताबिक अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 15,000 रुपए या उससे ज्यादा है तो पेंशन फंड में 1250 रुपए जमा होंगे। अगर बेसिक सैलरी 10 हजार रुपए है तो योगदान 833 रुपए ही होगा। कर्मचारी के रिटायरमेंट पर पेंशन की कैल्कुलेशन भी अधिकतम सैलरी 15 हजार रुपए (EPS Upper limit) ही मानी जाती है।
कैसे होती है EPS Pension Scheme Calcualtion?
EPS Pension Scheme कैलकुलेशन का फॉर्मूला= मंथली पेंशन= (पेंशन योग्य सैलरी x EPS खाते में जितने साल कंट्रीब्यूशन रहा)/70
अगर किसी की मंथली सैलरी (आखिरी 5 साल की सैलरी का औसत) 15 हजार रुपए है और नौकरी की अवधि 30 साल है तो उसे सिर्फ हर महीने 6,828 रुपए की ही पेंशन मिलेगी।
सर्विस हिस्ट्री के दौरान Employee Pension scheme के तहत जमा होने वाली पूरी राशि सरकार के पास जमा होती है। इसका फायदा सीधे रिटायरमेंट पर ही मिलता है।
नौकरी बदलने पर ऐसे होता है खाता स्थानांतरण
कभी स्थानांतरण या नौकरी बदलने की स्थिति में अगले नियोक्ता द्वारा भी मासिक राशि को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में नियमित तौर पर जमा कराते हैं। इस निधि की सदस्यता के लिए कोई शर्त नहीं है।
उसके बाद ही कर्मचारियों को मूल वेतन, महंगाई भत्ता और अपने पास रखने के भत्तों की निश्चित दर पर अंशदान करना होता है। इसी प्रकार नियोक्ताओं को भी उसी दर पर अंशदान करना होता है। नियम के अनुसार सेवानिवृत्ति के समय, चिकित्सकीय आवश्यकता या दो माह बेरोजगार रहने की स्थिति में कर्मचारी भविष्य निधि में से कोई भी कर्मचारी अपनी राशि निकाल सकता है।
जबकि अधिकतर लोग अपनी पिछली नौकरी छोड़ने के दो माह बाद भविष्य निधि राशि को नए खाते में स्थानांतरित करने के स्थान पर उसमें सहेजी राशि वापस निकलवा लेते हैं क्योंकि नई कंपनी में उन्हें नया भविष्य निधि खाता मिल जाता है।
इस प्रकार एक बड़ी राशि मिल जाती है, जो काफी काम में सहायक हो सकती है लेकिन इससे सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाली कुल राशि में उतनी राशि और सेवानिवृत्ति तक के समय तक उस राशि पर मिलने वाले ब्याज की राशि कम हो जाती है। इसलिए ईपीएफ राशि निकलवाने की जगह उसे नए खाते में स्थानांतरित कराना ज्यादा बेहतर होता है।
पेंशन (EPS) के लिए मौजूदा शर्तें
- EPF सदस्य होना जरूरी
- कम से कम रेगुलर 10 साल तक नौकरी में रहना जरूरी
- 58 साल के होने पर मिलती है पेंशन। 50 साल के बाद और 58 की उम्र से पहले भी पेंशन लेने का विकल्प
- पहले पेंशन लेने पर घटी हुई पेंशन मिलेगी। इसके लिए फॉर्म 10D भरना होगा
- कर्मचारी की मौत होने पर परिवार को मिलती है पेंशन
- सर्विस हिस्ट्री 10 साल से कम है तो उन्हें 58 साल की आयु में पेंशन अमाउंट निकालने का ऑप्शन मिलेगा
ये हैं EPS Pension Scheme के फायदे
योजना का सदस्य 58 वर्ष की आयु में रिटायर होने के बाद पेंशन लाभ के लिए पात्र हो जाता है। यदि कोई सदस्य 58 वर्ष की आयु से पहले 10 वर्षों तक सेवा में नहीं रहा हो तो वह फार्म 10सी भरकर 58 वर्ष की आयु होने पूरी राशि निकाल सकता है। मगर उसे सेवानिवृत्ति के बाद मासिक पेंशन नहीं मिलेगी।
ईपीएफओ का कोई सदस्य जो दुर्भाग्यवश पूरी तरह और स्थायी रूप से विकलांग हो जाए तो उसे मासिक पेंशन मिलेगी, चाहे उसने जरूरी 10 साल सर्विस न भी दी हो।
EPS Pension Scheme की योजनाओं के प्रकार
EPS के तहत विभिन्न प्रकार की पेंशन योजनाएं हैं जैसे विधवाओं, बच्चों और अनाथों के लिए पेंशन।
विधवा पेंशन
विधवा पेंशन या वृद्धा पेंशन योग्य सदस्य की विधवा स्त्री के लिए लागू है। विधवा की मृत्यु या उसके पुनर्विवाह तक यह पेंशन की राशि देय होगी। मासिक वृद्धा पेंशन राशि, वर्ष 1995 की EPS की टेबल-C पर निर्भर करती है न्यूनतम पेंशन राशि बढ़ाकर अब 1000 रुपये कर दी गई है।
बाल पेंशन
सदस्य की मृत्यु हो जाने पर, मासिक विधवा पेंशन के अलावा परिवार में जीवित बच्चों के लिए मासिक बाल पेंशन लागू होती है। इस पेंशन का भुगतान तब तक किया जाएगा जब तक बच्चा 24 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर लेता। देय राशि विधवा पेंशन की 25% है और इसका अधिकतम दो बच्चों को भुगतान किया जा सकता है।
अनाथ पेंशन
यदि कर्मचारी की सेवाकाल में मृत्यु हो जाती है और उसकी कोई जीवित विधवा नहीं है, तो उसके बच्चे मासिक विधवा पेंशन के मूल्य की 75 फीसदी राशि मासिक अनाथ पेंशन के रूप में पाने के हकदार होंगे। यह लाभ बड़े से छोटे क्रम में दो बच्चों के लिए लागू होगा।
EPS Pension Scheme के बारे में याद रखने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
- कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) खाते में किए गए सभी योगदान नियोक्ता/ कंपनी द्वारा ही किए जाने चाहिए
- EPS के लिए नियोक्ता/ कंपनी इसमें कर्मचारी के वेतन के 8.33 फीसदी का योगदान देता है और सरकार का योगदान 1.16 फीसदी होता है
- कर्मचारी के वेतन में महंगाई भत्ते के साथ मूल मज़दूरी, प्रतिधारित भत्ता और खाद्य रियायतों के लिए स्वीकार्य नकद मूल्य शामिल हैं
- नियोक्ता/ कंपनी को हर महीने के पहले 15 दिनों के भीतर अपना योगदान देना होता है
- सभी लागू योगदान की लागत नियोक्ता/ कंपनी द्वारा वहन की जाती है
- प्रमुख नियोक्ता/ कंपनी को उसके लिए काम करने वाले सभी कर्मचारियों के लिए सीधे या एक ठेकेदार के माध्यम से योगदान करना पड़ता है
- पेंशन के फायदे प्राप्त करने के लिए योग्य न्यूनतम सेवा अवधि 10 वर्ष है
- यदि आपने 6 महीने की सेवा से अधिक और 10 वर्ष से कम सेवा की है, तो आप दो महीने से अधिक समय तक बेरोज़गार रहने पर अपनी EPS Pension Scheme राशि निकाल सकते हैं
- योजना के अनुसार, कर्मचारी की रिटायर्मेंट की आयु 58 वर्ष तय की गई है
- एक कर्मचारी 58 साल का होने के बाद या घटी हुई पेंशन (50 वर्ष की आयु में) प्राप्त करना शुरू करने के बाद पेंशन फंड का सदस्य बनना बंद कर देता है
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