शुभ नवरात्रि का आरंभ 17 अक्तूबर से हो जाएगा। मां की चौकी सजाकर नौ दिन तक हर घर में उनकी पूजा की जाएगी। यह त्योहार हिंदू धर्म में बहुत आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है, साथ ही अधर्म पर धर्म के विजय का प्रतीक है।

नौ दिनों तक मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, सनातन धर्म में कोई भी पूजा तभी पूरी मानी जाती है जब देवी-देवता की पूजा करते समय भोग लगा दिया जाए। सभी देवी-देवताओं को उनके प्रिय भोग लगाने से वे प्रसन्न होते हैं। वैसे तो भक्तों के द्वारा श्रद्धा और भक्ति भाव से अर्पित किया गया रूखा-सूखा भोजन भी मां को प्रिय होता है।

कन्या पूजन की कृपा

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सनातन धर्म में ऐसा माना जाता है कि कन्याओ में साक्षात् देवी दुर्गा का विराजमान होती है, और कन्या पूजन करने से मां प्रसन्न होती हैं। जिससे भक्तों की सर्व मनोकामना माँ दुर्गा पूर्ण करती हैं। शास्त्रों के अनुसार अगर सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति चाहिए तो सदैव कन्या पूजन करे। और साथ ही हवन करवाने का प्रावधान होता है, जिससे देवी दुर्गा अपनी कृपा दृष्टि सदैव अपने भक्त पर बरसाती हैं।

ध्यान में रखे ये कुछ खास बातों को कन्या पूजन करते समय

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नवरात्री के नौवे दिन नौ ही कन्याओ को पूजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए, क्योंकि हर एक कन्या के रूप में देवी माँ के नौ रूप विराजमान होने का प्रतीक माना जाता है। और साथ ही एक बालक को भीं पूजन के लिए आमंत्रण दे क्योंकि बालक को बटुक भैरव के रूप का प्रतीक माना जाता है। और कहा जाता है कि बटुक भैरव के अराधना के बिना दुर्गा माँ की उपासना संपूर्ण नहीं मानी जाती है। 2 से 10 वर्ष के ही कन्याओ को आमंत्रण देना चाहिए।

कन्या पूजन विधि

दुर्गा की आरती

सर्व प्रथम कन्याओ को पूजन करने के लिए आमंत्रण देना चाहिए। कन्याओं के घर में पधारने पर उन्हें देवी रुप मान कर सम्मान पूर्वक आसन लगाए, उसके बाद उनके चरणों को ताम्बा के पात्र में रख कर जल से धुले। कुमकुम से तिलक करें, लाल रंग की चुनरी दे। माँ दुर्गा का ध्यान करते हुए पूजन करें और जो भोजन आपने प्रसाद स्वरुप बनाया है उसे मातारानी का भोग लगाने के पश्चात् कन्याओं को खिलाएं। भोजन करवाने के बाद दान-दक्षिणा देकर कन्याओं से पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लें और उनको प्रसन्नता पूर्वक विदा करें।

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