लोगों में भगवान को लेकर अच्छे विचार और मन साफ होना चाहिए। आज के समय में सब लोग भगवान पर ही टीके हुए है। वहीं हर दिन किसी ना किसी भगवान का दिन होता है। लोग उन भगवान की पूजा आर्चना करते है। उनके प्रति मन में विश्वास रखते है। मगर सबसे भक्त हनुमान जी के है। हनुमान जी अपने भक्तों पर आने वाले तमाम तरह के कष्टों और परेशानियों को दूर कर देते हैं।
ऐसी कहा जाता है कि भगवान हनुमान बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं.। उनकी पूजा पाठ में ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती. मंगलवार के दिन भगवान हनुमान जी का पूजा पाठ किया जाता है। हनुमान जी बल, बुद्धि के बलवान है, अष्ट सिद्घि और नौ निधि के दाता हैं. अंजनी पुत्र हनुमान जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. मंगलवार के दिन हनुमान जी का व्रत रखने, ब्रह्मचर्य का पालन करने और पूजा करने का विधान है।

मंगलवार को हनुमान जी की पूजा के बाद अमृतवाणी और श्री हनुमान चालीसा का पाठ कर लेना चाहिए जिससे बजरंगबली खुश हो जाते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं लेकिन हिंदू परंपरा के अनुसार किसी भी भगवान की पूजा का समापन उनकी आरती से ही किया जाता है।. हनुमान जी की पूजा के अंत में उनकी आरती जरूर करना चाहिए।
उनकी आरती कपूर से करना शुभ माना जाता है। थाली में सिंदूर या रोली से स्वास्तिक बना कर उस पर फूल और अक्षत डालना चाहिए। आरती के बाद हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाएं। मंगलवार को नियमित रूप से ऐसा करने से हनुमान जी की कृपा आप पर सदा बनी रहेगी और आपसे खुश रहेगे।
आरती जरूर पढ़ें
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन ता
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।