नव दिन भक्त संसार के सभी दुखों को छोड़कर मां के नौं रुपों की अराधना करते हैं। जगह-जगह पर लोग माता की मूर्ति स्थापित करते हैं। भक्त अपने घर में कलश की स्थापना करते हैं। इस बार नवरात्री 17 अक्टूबर 2020 को है। बाजार में नवरात्रि की रौनक अभी से दिखने लगी है। दुकानों पर कलश,माता की तस्वीरें नजर आरही है। ऐसे में हमें पता होना चाहिए नवरात्रि क्यों मनाई जाती है।
नवरात्रि मनाने के पीछे अलग-अलग पौराणिक कथाओं में कई तरह की कहानियां है।
शास्त्रों की माने तो नवरात्रि का त्योहार मनाए जाने के पीछे दो कारण बताए गए हैं।
पहली पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम का एक राक्षस था जो ब्रह्मा जी का बड़ा भक्त था। उसने अपने तप से ब्रह्माजी को प्रसन्न करके एक वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान में उसे कोई देव, दानव या पृथ्वी पर रहने वाला कोई मनुष्य मार ना पाए। वरदान प्राप्त करते ही वह बहुत निर्दयी हो गया और तीनो लोकों में आतंक माचने लगा। उसके आतंक से परेशान होकर देवी-देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ मिलकर माँ शक्ति के रूप में दुर्गा को जन्म दिया। माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
वहीं दूसरी कथा के अनुसार, भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले और रावण के संग युद्ध में जीत के लिए शक्ति की देवी माँ भगवती की आराधना की थी। रामेश्वरम में उन्होंने नौ दिनों तक माता की पूजा की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माँ ने श्रीराम को लंका में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। दसवें दिन भगवान राम ने लकां नरेश रावण को युद्ध में हराकर उसका वध कर लंका पर विजय प्राप्त की। इस दिन को विजय दशमी के रूप में जाना जाता है।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्र की शुरूवात 17 अक्टूबर आश्चिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारम्भ होगी। दुर्गा पूजा का आरंभ घट स्थापना से शुरू हो जाता है। घट स्थापना मुहूर्त का समय 17 अक्टूबर दिन शनिवार को प्रात: काल 06 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक है। घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बारह 29 मिनट तक रहेगा।